नोएडा में भूमि अधिग्रहण के सवाल को लेकर हुई हिंसा के लिए उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार पर हमले तेज करते हुए कांग्रेस ने इस पूरी स्थिति की तुलना पश्चिम बंगाल के सिंगुर और नंदीग्राम से की.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने उन सुझावों को खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि अगर भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक संसद में लंबित नहीं होता और राहत तथा पुर्नवास नीति को मंजूरी मिल गई होती तो ऐसी स्थिति नहीं उभरती.
उन्होंने संप्रग सरकार से अनुरोध किया कि ये दोनों महत्वपूर्ण विधेयक पास हो जायें. तिवारी ने इस दावे को खारिज कर दिया कि तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के विरोध में होने के कारण यह पास नहीं हो सकता है.
तिवारी ने कहा, ‘पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नोएडा के आसपास जिस तरह से किसानों पर जुल्म ढाये गये, कांग्रेस उसकी कड़े शब्दों में निंदा करती है.’ उन्होंने कहा, ‘कारण चाहे जो भी रहा हो मंशा कैसी भी क्यों न रही हो, बसपा सरकार की मुख्यमंत्री ने जिस तरह से लाठी गोली के सहारे विकास की एक नयी परंपरा डालने की कोशिश की है . इसके परिणाम बहुत दूरगामी होंगे.’
तिवारी ने कहा, ‘हमारी मांग है कि किसानों के खिलाफ जो अत्याचार हुए हैं उसकी उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए और पीड़ित किसानों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए. साथ ही राज्य सरकार को किसानों के साथ तुरंत बात कर कोई न न कोई रास्ता निकालना चाहिए.’ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘बात सही है कि भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन संबंधी विधेयक पिछली लोकसभा से पारित हुआ था लेकिन चौदहवीं लोकसभा भंग हो जाने के कारण यह कानून नहीं बन सका.’
तिवारी ने कहा कि चाहे सिंगूर हो नंदीग्राम हो या देश का कोई और हिस्सा, जब तक स्थानीय लोगों को विकास में भागीदार नहीं बनाया जाता, विकास की गाड़ी को आगे नहीं बढाया जा सकता.
उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इस विधेयक को संसद के समक्ष लाना चाहिए और इस कानून पर दोबारा से राय बनाकर उसमें संशोधन किया जाना चाहिए.
कांग्रेस प्रवक्ता ने साथ ही कहा, ‘लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि लोकतांत्रिक सरकारें लाठी गोली के माध्यम से लोगों से बात करें.’ उन्होंने कहा, ‘‘यह मतलब नहीं कि इसकी आड़ लेकर अत्याचार और जुल्म किया जाये . कोई कानून ऐसी बर्बरता की इजाजत नहीं देता है.’
तिवारी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘किसी समस्या का अति सरलीकरण नहीं किया जाना चाहिए. हम सरकारी मुलाजिम को बंधक बनाने के हक में बिल्कुल नहीं हैं. हिंसा की ऐसी कार्रवाई का हम समर्थन नहीं करते. लेकिन जरूरत है संवेदनशीलता की और लोगों से बातचीत करने की.’
इससे पहले पार्टी के महासचिव और उत्तर प्रदेश मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि मायावती सरकार किसानों के सवाल को लेकर पूरी तरह से असंवेदनशील है.
उन्होंने कहा, ‘किसानों से बातचीत करने और उन्हें विश्वास में लेने की बजाय यह सरकार आंदोलनरत किसानों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई कर रही है. हम इसकी न्यायिक जांच की मांग करते हैं.’ उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि राज्य सरकार किसानों से उनकी जमीन छीन कर बड़े औद्योगिक घारानों को दे रही है.
किसान पिछले चार महीने से घरने पर बैठे हैं लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उनकी मांगे सही हैं और इस पूरी घटना के लिए बसपा सरकार जिम्मेदार है.