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जमीन अधिग्रहण:किसान आंदोलन की राह पर

मध्यप्रदेश में प्रस्तावित औद्योगिक परियोजना के लिये प्रशासन के जमीन अधिग्रहण के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए किसानों ने पदयात्रा की शुरूआत की. इस आंदोलन को कुछ सामाजिक संगठनों का समर्थन भी हासिल है.

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मध्यप्रदेश में प्रस्तावित औद्योगिक परियोजना के लिये प्रशासन के जमीन अधिग्रहण के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए किसानों ने पदयात्रा की शुरूआत की. इस आंदोलन को कुछ सामाजिक संगठनों का समर्थन भी हासिल है.

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किसान संघर्ष समिति से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता तपन भट्टाचार्य ने बताया कि दो दिवसीय पदयात्रा बेटमा-पीथमपुर औद्योगिक क्लस्टर के लिये होने वाले जमीन अधिग्रहण के खिलाफ निकाली जा रही है. करीब 35 किलोमीटर लम्बी पद यात्रा नजदीकी धार जिले के सागोर कुटी में 24 जनवरी को खत्म होगी.

उन्होंने बताया कि बेटमा-पीथमपुर औद्योगिक क्लस्टर की जद में इंदौर जिले के पांच गांवों की करीब 800 हेक्टेयर जमीन आ रही है. इसमें करीब 95 फीसदी जमीन उपजाउ और सिंचित है.

भट्टाचार्य ने दावा किया कि इस औद्योगिक परियोजना के लिये होने वाले जमीन अधिग्रहण से लगभग 10,000 लोगों पर विस्थापन का खतरा मंडरा रहा है, जिनमें ज्यादातर किसान हैं.उन्होंने आरोप लगाया कि जमीन अधिग्रहण के लिये प्रशासन की कार्रवाई अन्यायपूर्ण और अवैधानिक है.

भट्टाचार्य ने कहा कि बेटमा.पीथमपुर क्षेत्र में प्रशासन के पास ऐसी कोई 1,600 हेक्टेयर जमीन है, जो अधिग्रहण के बाद खाली पड़ी है. इसके बावजूद नये जमीन अधिग्रहण की कोशिश की जा रही है.

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उन्होंने प्रदेश सरकार की जमीन अधिग्रहण नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के लिये खेती की भूमि अधिगृहीत की गयी थी, लेकिन इस क्षेत्र में फिलहाल करीब 150 इकाइयां बंद पड़ी हैं. लिहाजा इन इकाइयों के लिये किया गया जमीन अधिग्रहण बेमानी साबित हो रहा है.

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