श्रीलंका ने नयी दिल्ली को आश्वासन दिया है कि उसकी सेना देश के उत्तरी हिस्से के वावुनिया जिले में भारतीय मूल के विस्थापित तमिलों की जमीन लौटा देगी. विदेश सचिव निरूपमा राव ने यह जानकारी दी. उनका श्रीलंका का तीन दिवसीय दौरा गुरुवार को समाप्त हो गया.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि हमने श्रीलंका सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया. वित्त विकास मंत्री बासिल राजपक्षे से भी मैंने बात की. उन्होंने मुझे आश्वस्त किया कि वह इस मामले पर पहले ही गौर कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि इसका हल निकल जाएगा और लोग अपने घरों को लौट जाएंगे.
राव ने कहा कि मूलत: वह लोग भारतीय मूल के विस्थापित हैं जो 1977 के दंगों के बाद वावुनिया में बस गए थे. वे वहां खेती करते थे. युद्ध के बाद उन्हें मेनिक फार्म आईडीपी शिविर में भेज दिया गया.
विदेश सचिव ने कहा कि करीब 150 हैं जिनमें लोगों की संख्या लगभग 1000 है. उन लोगों को वापसी में दिक्कत हो रही है. उन्होंने कहा कि सेना ने प्रत्यक्ष तौर पर उनकी जमीन नहीं छोड़ी है क्योंकि युद्ध खत्म होने के बाद सेना उन इलाकों में चली गई थी.
श्रीलंका दौरे में राव वावुनिया, मेनिक फार्म (वावुनिया में) चेट्टीकुलम, किलीनोच्चि, ओमानथई, जाफना, मुल्लातीवु और त्रिंकोमाली गईं ओर पुनर्वास प्रक्रिया की जानकारी ली.