पर्यावरण और वन मंत्रालय ने लवासा कॉरपोरेशन लिमिटेड (एलसीएल) के खिलाफ फैसला करते हुए कंपनी की महाराष्ट्र के पुणे स्थित हिल सिटी परियोजना को अनधिकृत और पर्यावरण के प्रतिकूल करार दिया और कंपनी को परियोजना स्थल पर यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश दिये.
पर्यावरण मंत्रालय ने कंपनी के खिलाफ यह आदेश सोमवार को जारी किया, जिसे मंगलवार को सार्वजनिक किया गया है. मंत्रालय ने कहा कि एलसीएल की परियोजना पर्यावरण प्रभाव आकलन की वर्ष 1994, 2004 और 2006 की अधिसूचनाओं का उल्लंघन करती है. परियोजना के तहत हुआ निर्माण अनाधिकृत है और पर्यावरण के प्रति नुकसानदेह है.
मंत्रालय ने कहा कि अगर एलसीएल प्रतिक्रिया देती है और अगर वह मंत्रालय को इस मामले में आगे बढ़ने योग्य संबंधित और विश्वसनीय सामग्री मुहैया कराती है तो मंत्रालय कंपनी की परियोजना पर गुण-दोष के आधार पर विचार करने को तैयार है. लेकिन इसके लिये पहले कंपनी को परियोजना स्थल पर यथास्थिति बरकरार रखनी होगी.
बहरहाल, मंत्रालय ने साफ कर दिया, ‘लेकिन इस मामले में विचार तभी किया जायेगा जब दंड लगाया जायेगा, पर्यावरण बहाली कोष की स्थापना की जायेगी, इस परियोजना की व्यापक पर्यावरण प्रभाव आकलन रिपोर्ट तैयार की जायेगी और प्रबंधन योजना बनायी जायेगी.’ गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को ही बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह पुणे के निकट स्थित लवासा की इस विवादास्पद परियोजना के बारे में अपना हलफनामा और अपने आदेश की प्रति अदालत को सौंपेगा. {mospagebreak}
इस मामले में अदालत में 27 जनवरी को सुनवाई होनी है. पर्यावरण मंत्रालय ने कंपनी के समक्ष कुछ शर्तें रखी हैं जिनमें पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करने के लिये दंड का भुगतान करने और पर्याप्त राशि के साथ पर्यावरण बहाली कोष की स्थापना करना शामिल है जिसका प्रबंध एक स्वतंत्र निकाय करे और जिसमें मंत्रालय की निगरानी में विभिन्न साझेदार शामिल किये जायें.
मंत्रालय ने अपने आदेश में यह भी सुनिश्चित कराने की कोशिश की है कि लवासा की परियोजना के कारण पर्यावरण को और अधिक नुकसान नहीं पहुंचे. मंत्रालय ने कहा है कि पर्यावरण को पहले से पहुंचे नुकसान की एक समय सीमा के भीतर भरपाई की जा सकती है.
पर्यावरण मंत्रालय ने एलसीएल से कहा कि वह अपनी परियोजना के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करे, निर्माण तथा अन्य कार्यों के लिये दिये विभिन्न अनुबंधों की पूरी जानकारी मुहैया कराये और परियोजना पर परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से अब तक खर्च हुई राशि के ऑडिट किये हुए वक्तव्य सौपें. मंत्रालय ने एलसीएल को पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 की धारा पांच के तहत 25 नवंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और कंपनी को 15 दिन के भीतर नोटिस का जवाब देने को कहा था. लेकिन इसके बाद कंपनी ने बंबई उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल कर दी.
एलसीएल को मंत्रालय की सलाहकार डॉ. नलिनी भट्ट के समक्ष अपना मामला रखने का नौ और 23 दिसम्बर को मौका दिया गया. इस बीच, बंबई उच्च न्यायालय ने रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य तथा केंद्र को परियोजना स्थल पर जाने और निर्माण कार्यों का गहन निरीक्षण करने के निर्देश दिये. इसके बाद केंद्र तथा राज्य की विशेषज्ञ आकलन समिति ने पांच से सात जनवरी के बीच लवासा सिटी का दौरा किया और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी.