देश में कांग्रेस तथा भाजपा नेतृत्व वाले मोर्चे को छोड़कर अब नेताओं के बीच तीसरे मोर्चे के गठन की सुगबुगाहट शुरु हो गयी है और इसके लिये नेताओं ने बयानों का सिलसिला भी तेज कर दिया है.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने तीसरे मोर्चे को समय की जरूरत बताते हुए जालंधर में कहा कि क्षेत्रीय दलों के आपसी गठबंधन से आगामी आम चुनाव के पहले या बाद में तीसरा मोर्चा अस्तित्व में आएगा.
उन्होने कहा, ‘वर्तमान सरकार के कुशासन को उखाड़ फेंकने के लिए देश में तीसरा मोर्चा समय की मांग है. चुनाव से पहले या चुनाव के बाद यह निश्चित तौर पर अस्तित्व में आएगा हालांकि अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दीबाजी होगी.’
तेलुगुदेशम पार्टी के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू ने हैदराबाद में कहा कि देश के लिए बेहतरीन राजनीतिक गठजोड़ क्या हो सकता है, यह भविष्य तय करेगा. उन्होंने कहा कि वक्त आने पर तीसरा मोर्चा भी उभरेगा.
उन्होंने कहा, ‘भारत में राजनीति विचित्र है और कुछ बाध्यताएं हैं. संप्रग है और राजग है. गैर राजग एवं गैर संप्रग ताकतें भी हैं. संप्रग जहां घोटालों एवं अक्षमताओं में डूबी हुई है वहीं राजग सुस्त है. इसका लाभ गैर संप्रग एवं गैर राजग पार्टियों को उठाना चाहिए.’
नायडू जन जागरण के लिये दो अक्तूबर से 117 दिनों की ‘पदयात्रा’ पर निकल रहे हैं.
हालांकि देश में विभिन्न क्षेत्रीय दलों के साथ एक मोर्चा गठित करने के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रस्ताव को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बहुत जल्दबाजी में दिया सुझाव बताया.
क्षेत्रीय दलों के मोर्चे के गठन की तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की इच्छा के बाबत पूछे जाने पर पटनायक ने कहा, ‘ममता बनर्जी के प्रस्ताव जल्दबाजी में दिया गया सुझाव है. तीसरे मोर्चे के गठन के लिये कुछ कहना अभी बहुत जल्दी होगी.’
पटनायक ने हालांकि पहले वैकल्पिक मोर्चे की वकालत की थी और उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाले संप्रग को ‘घोटाले से घिरा’ तथा भाजपा की अगुवाई वाले राजग को ‘सांप्रदायिकया के दागदार’ हुआ बताया था.
ममता ने कहा था कि अगर राज्यों के मुख्यमंत्री देश के भविष्य के लिए साथ बैठते हैं तो वह बेहद खुश होंगी.
ऐसे समय में जब तीसरे मोर्चें या संघीय मोर्चें के गठन को लेकर चर्चायें जोर पकड़ रही हैं कांग्रेस ने इसे एक ‘फ्लॉप आइडिया’ बताया और कहा कि इतिहास गवाह है कि ऐसे मोर्चे नाकामयाब रहे हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि राजनैतिक दल तीसरा मोर्चा सहित कोई भी फ्रंट बना सकते हैं इतिहास हमें बताता है कि ऐसे मोर्चे कभी सफल नहीं रहे. यही बात फेडरल फ्रंट (क्षेत्रीय दलों के मोर्चे) पर भी लागू होती है.
उन्होंने कहा कि महज सत्ता हासिल करने के लिए अगर तीसरा मोर्चा या क्षेत्रीय मोर्चा गठित होता है तो यह ज्यादा दिन नहीं चल सकता. सिर्फ वही मोर्चा लंबे समय तक चलता है जो एक विचारधारा के आधार पर आकार लेता है.