वाम दलों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की विपक्ष की मांग को गैर जरूरी बताने के कारण निशाने पर लिया.
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिये जेपीसी गठित करने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘इस बात को लगभग न्यायोचित ठहराया है कि जेपीसी की जरूरत नहीं है और विपक्ष की मांग इसलिए मानी गयी ताकि संसद चल सके.’
उन्होंने कहा, ‘यदि यह बुद्धिमानी पहले दिखायी गयी होती तो हम शीतकालीन सत्र (जिसमें जेपीसी जांच की मांग पर विरोध के कारण कामकाज नहीं हो सका था) को बचा सकते थे.’ भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने कहा कि विपक्ष को कोसने की बजाय प्रधानमंत्री को आत्म आलोचना का रुख अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘इसी तरह की सदबुद्धि शीतकालीन सत्र के दौरान आनी चाहिए थी.’
येचुरी ने कहा कि वामदल जेपीसी की मांग कर रहे थे ताकि इस बात की जांच हो कि इतना बड़ा घोटाला होने देने में किस तरह पूरी व्यवस्था से छेड़छाड़ की गयी. माकपा नेता ने कहा कि एक ओर दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री ने इसकी तुलना गरीबों को खाद्यान्नों पर मिल रही सब्सिडी से कर दी.
उन्होंने कहा, ‘सिंह ने लगभग यही कहा कि जिस तरीके से स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया वह दरअसल कॉरपोरेट घरानों को दी गयी सब्सिडी की तरह था.’ येचुरी ने कहा कि दरअसल यह सरकार की हालत को दिखाता है जो दिशाहीन है.
सरकारी खजाने को हुए नुकसान का आकलन 3-जी स्पेक्ट्रम की दरों पर न करने के रुख पर कायम येचुरी ने कहा कि इसे उन कीमतों के आधार पर किया जाना चाहिए जो ‘स्वान’ और ‘यूनीटेक’ को 2 जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस मिलने के बाद मिली. उन्होंने कहा, ‘इन दोनों कंपनियों में हिस्सेदारी उस कीमत से छह गुना ज्यादा कीमत पर बेची गयी जिस पर उन्हें सरकार द्वारा लाइसेंस आवंटित किया गया था.’