सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कानूनी व्यवस्था ‘विभिन्न दबावों’ में है जिससे प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग रहा है.
जनरल सिंह ने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि आप किस हद तक (कश्मीर) घाटी की कानूनी व्यवस्था से अवगत हैं. वहां विभिन्न प्रकार के दबाव हैं. आप मियां कय्यूम खान से अवगत होंगे जो बार एसोसिएशन के अध्यक्ष थे और अब हिरासत में हैं और बेहद भारत विरोधी हैं.’
सेना प्रमुख ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘अब, इस तरह की हालत में यह सवाल उठता है कि हम किस तरह के इंसाफ की उम्मीद करें और किस तरह के कानूनी प्रावधान किए जाएं.’ सेना प्रमुख ने यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि सेना माचिल फर्जी मुठभेड़ की न्यायिक जांच का विरोध क्यों कर रही है.
उन्होंने मामले की जांच पर टिप्पणी करते हुए कहा कि शुरुआती जांच में विलंब हुआ ‘क्योंकि स्थानीय अदालतें सेना को उपलब्ध गवाहों पर प्रतिबंध लगा रही थी और उसके बाद इस मुद्दे को निबटाने में बहुत कानूनी संघर्ष हुए.’
जनरल सिंह ने कहा कि माचिल फर्जी मुठभेड़ की जांच प्रगति पर है और सामान्य प्रक्रिया के अनुरूप सेना ऐसी किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए अपनी जांच पूरा करना चाहेगी कि आखिर वास्तव में हुआ क्या था.
जब सेना प्रमुख से पूछा गया कि क्या इस मामले ने राज्य में हुई अन्य मुठभेड़ों पर सवालिया निशान लगा दिया है तो उन्होंने कहा, ‘इस तरह का एक मामला घुसपैठ निरोधी उपायों और मुठभेड़ों पर सवालिया निशान खड़ा नहीं कर सकता.’ उन्होंने कहा कि ऐसा करना अति सामान्यीकरण होगा.