दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि 31 जनवरी के बाद भी ब्लूलाइन बसें चल सकती हैं बशर्ते उनके पास वैध लाइसेंस हो.
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने ब्लूलाइन बसों को सड़कों से पूरी तरह हटाने के लिए 31 जनवरी की समय सीमा निर्धारित की थी.
न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि जिन ब्लूलाइन बसों के पास वैध लाइसेंस है वे 31 जनवरी के बाद भी चल सकती हैं. उनसे सड़कों से हटने को नहीं कहा जा सकता.
पीठ ने दिल्ली सरकार की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमें ब्लूलाइन बसों को फिर से सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं देने की मांग की गई थी. हालांकि, पीठ ने ऑपरेटरों को स्पष्ट कर दिया कि वाहन चलाने की अनुमति देने का आदेश याचिका पर उसके फैसले पर निर्भर करेगा.
दो बस ऑपरेटरों ने दिल्ली सरकार की उस अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिसमें उनसे (ऑपरेटरों से) कहा गया था कि वे 31 जनवरी के बाद सड़कों पर बस नहीं चलाएं. ऑपरेटरों की याचिका में कहा गया था कि अधिसूचना ब्लूलाइन बसों की लाइसेंस की वैधता अवधि के बावजूद प्रभावी होनी है.{mospagebreak}
इससे पहले अदालत ने दिल्ली सरकार की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमें उसने सड़कों पर ब्लूलाइन बसों की वापसी की अनुमति नहीं देने की मांग की थी.
दिल्ली सरकार के वकील नजमी वजीरी ने कहा था कि जन सुरक्षा सर्वोपरि उद्देश्य है और सरकार के पास जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में डीटीसी बसें हैं.
वकील ने दावा किया कि पिछले साल 2000 लो फ्लोर डीटीसी बसों को सड़कों पर उतारे जाने से जनता को भारी राहत मिली है और ब्लूलाइन बसों को सड़कों से चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने से सड़क दुर्घटना की संख्या में भारी गिरावट आई है.
उधर, ऑपरेटरों की दलील थी कि क्लस्टर सिस्टम को लागू किए जाने तक ब्लूलाइन बसों को सड़कों पर चलने की इजाजत दी जाए.