scorecardresearch
 

सिब्बल ने स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग किया

स्पेक्ट्रम आवंटन नीति में एक बड़ा बदलाव करते हुए सरकार ने घोषणा की कि अब दूरसंचार सेवा लाइसेंस के साथ रेडिया स्पेक्ट्रम नहीं दिया जाएगा. नए निर्णय के अनुसार कंपनियों को अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के लिए बाजार मूल्य चुकाना होगा.

Advertisement
X

Advertisement

स्पेक्ट्रम आवंटन नीति में एक बड़ा बदलाव करते हुए सरकार ने घोषणा की कि अब दूरसंचार सेवा लाइसेंस के साथ रेडिया स्पेक्ट्रम नहीं दिया जाएगा. नए निर्णय के अनुसार कंपनियों को अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के लिए बाजार मूल्य चुकाना होगा.

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने यह घोषणा करते हुए कहा कि नए आपरेटरों के साथ 4.4 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के लिए अनुबंध होगा, जबकि पहले से चल रही भारती, वोडाफोन और आइडिया जैसी कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम की सीमा 6.2 मेगाहट्र्ज की होगी. वहीं पुराने ऑपरेटरों, जिनके पास 6.2 मेगाहट्र्ज से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम है, उन्‍हें इसके लिए बाजार मूल्य के आधार पर कीमत चुकानी होगी.

सिब्बल ने कहा कि भविष्य में लाइसेंस के साथ स्पेक्ट्रम नहीं दिया जाएगा. दूरसंचार ऑपरेटरों को जारी किया जाने वाला लाइसेंस, एकीकृत सेवा लाइसेंस होगा. लाइसेंसधारक को इसके जरिये चाहे जिस प्रकार भी भी दूरसंचार सेवा देने की अनुमति होगी.

Advertisement

मंत्री ने कहा कि यदि लाइसेंस धारक वायरलेस सेवाएं देना चाहेगा, तो उसे बाजार आधारित प्रक्रिया के जरिये स्पेक्ट्रम हासिल करना होगा.

इसका मतलब यह हुआ कि यदि नए ऑपरेटरों का लाइसेंस वैध रहता है, तो उन्‍हें 1.8 मेगाहट्र्ज के अतिरिक्त 2जी स्पेक्ट्रम के लिए बाजार मूल्य चुकाना होगा. इससे उनके लिए परिचालन वित्तीय दृष्टि से व्यावहारिक नहीं रह जाएगा.

सिब्बल ने कहा कि ये बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएंगे. दूरसंचार मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हमें 6.2 मेगाहट्र्ज से अतिरिक्त के स्पेक्ट्रम के लिए गंभीरता से नीलामी प्रक्रिया और कीमत के बारे में गंभीरता से विचार करना होगा, साथ ही यह सुनिश्चित भी करना होगा कि नीलामी प्रक्रिया में उचित प्रतिस्पर्धा बनी रहे.

Advertisement
Advertisement