राजस्थान में 2007 के अजमेर विस्फोट मामले में दायर आरोपपत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक वरिष्ठ नेता का नाम सामने आया है, जिसे भाजपा और आरएसएस ने सिरे से खारिज कर दिया है जबकि कांग्रेस ने संगठन पर सम्प्रदायिक सौहार्द को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है.
इधर, विश्व हिन्दू परिषद ने आरोप लगाया है कि वरिष्ठ आरएसएस नेता का नाम अजमेर विस्फोट मामले में शामिल करना हिन्दू संगठन के खिलाफ सरकार की राजनीतिक साजिश है जबकि इंद्रेश कुमार ने कहा कि यह उनके खिला सोचा समझा राजनीजिक षड्यंत्र है.
एटीएस के आरोपपत्र में कहा गया है कि आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार 31 अक्तूबर 2005 को जयपुर के गेस्ट हाउस में मौजूद थे जहां संगठन के छह सदस्यों के साथ गुप्त बैठक हुई थी.
राजस्थान एटीएस ने अजमेर की अदालत के समक्ष पांच आरोपियों के खिलाफ 806 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया है.
बहरहाल, एटीएस सू़त्रों ने बताया कि इंद्रेश को इस मामले में आरोपी नहीं बनाया गया है क्योंकि मामले की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनकी इस मामले में कोई संलिप्तता थी.{mospagebreak}
वहीं, आरएसएस ने जोर देते हुए कहा कि उसका कोई भी नेता किसी राष्ट्रद्रोही गतिविधि में लिप्त नहीं है. संघ ने इन खबरों को भी नकार दिया कि उसके एक वरिष्ठ नेता का नाम अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में आरोपपत्र में दर्ज है.
संघ के प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि मीडिया की कई खबरों में दावा किया गया था कि दिल्ली के हमारे वरिष्ठ कार्यकर्ता इंद्रेश कुमार का नाम अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में आरोपपत्र में दर्ज है. हम इन खबरों को खारिज करते हैं.
उन्होंने कहा कि यह सच नहीं है, इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी. दूसरी ओर, भाजपा ने आरएसएस का बचाव करते हुए कहा कि इंद्रेश कुमार का नाम आरोपपत्र में शामिल करने में कोई दम नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ कुछ भी विश्वसनीय नहीं है.