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पढ़ें: तेलंगाना मुद्दे पर सुमित अवस्‍थी से चैट

भारत में अलग राज्‍य की मांग बहुत पहले से होती आई है. चाहे वो तेलंगाना की मांग हो या‍ फिर बुंदेलखंड की, चाहे गोरखालैंड की मांग हो या फिर विदर्भ की, सभी की अपनी अपनी दलीलें हैं अलग राज्‍य के गठन की. लेकिन पिछले कुछ दिनों में आंध्र प्रदेश में तेलंगाना की मांग ने जितना जोर पकड़ा है उतना और किसी राज्‍य की मांग ने नहीं पकड़ा.

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भारत में अलग राज्‍य की मांग बहुत पहले से होती आई है. चाहे वो तेलंगाना की मांग हो या‍ फिर बुंदेलखंड की, चाहे गोरखालैंड की मांग हो या फिर विदर्भ की, सभी की अपनी अपनी दलीलें हैं अलग राज्‍य के गठन की. लेकिन पिछले कुछ दिनों में आंध्र प्रदेश में तेलंगाना की मांग ने जितना जोर पकड़ा है उतना और किसी राज्‍य की मांग ने नहीं पकड़ा.

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तेलंगाना के समर्थन में आंध्र प्रदेश में उग्र प्रदर्शन हुए और कुछ छात्रों ने तो अलग राज्‍य के समर्थन में जान तक दे दी. केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम द्वारा अलग तेलंगाना के गठन के लिए पर्याप्‍त कदम उठाए जाने के आश्‍वासन ने तो जैसे आग में घी का काम किया. अब सवाल यह उठता है कि क्‍या विकास के लिए छोटे राज्‍यों का गठन जरूरी है.

हमारे देश में दोनों ही तरह के उदाहरण मौजूद हैं. महाराष्‍ट्र और गुजरात जैसे बड़े राज्‍यों ने दिखाया है कि अगर राजनीतिक इच्‍छाशक्ति हो तो राज्‍यों के आकार से फर्क नहीं पड़ता वहीं बिहार से अलग हुए झारखंड को देखकर यही लगता है कि सिर्फ राज्‍यों का आकार छोटा हो जाने से विकास नहीं होता. इस मामले पर आपको आपके मन में दबे सवालों के जवाब मिले आजतक के एंकर सुमित अवस्‍थी से.

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