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अवैध खनन के लिए येदियुरप्पा, रेड्डी बंधु जिम्मेदार: हेगड़े

कर्नाटक के लोकायुक्त ने प्रदेश में अवैध खनन पर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी. माना जा रहा है कि रिपोर्ट के नतीजे मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के भविष्य को निर्धारित कर सकते हैं.

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संतोष हेगड़े
संतोष हेगड़े

अवैध खनन पर आई लोकायुक्त की रिपोर्ट में पुरजोर तरीके से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा, रेड्डी बंधुओं और कई अन्य लोगों पर आरोप लगाया गया है और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम तथा अन्य कानूनों के तहत अभियोजन की सिफारिश की गयी है.

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मुख्यमंत्री के खिलाफ साक्ष्यों की ओर इशारा करते हुए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े की अध्यक्षता में लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एक खनन कंपनी ने मुख्यमंत्री के परिजन द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को 10 करोड़ रुपये चंदा दिया था, जिसने एक खनन कंपनी को एक भूखंड 20 करोड़ रुपये में भी बेचा.

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अनुलग्नकों समेत 25,228 पन्नों वाली अपनी रिपोर्ट जमा करते हुए हेगड़े ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने खनन मामले में मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा, पूर्व मुख्यमंत्री तथा जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी, रेड्डी बंधु (राज्य सरकार में मंत्री और खनन उद्यमी), उनके कुछ सहयोगियों और एक अन्य मंत्री एच श्रीरामूलू, कांग्रेस सांसद अनिल लाड की पत्नी तथा 600 से अधिक अधिकारियों के नाम लिये हैं.

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उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि 2006 से 2010 के बीच अवैध खनन से राजकोष को 16,085 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. मुख्यमंत्री के परिजन द्वारा संचालित ट्रस्ट को दिये गये दान के संदर्भ में हेगड़े ने कहा, ‘भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत अपराध होने के नतीजे पर पहुंचने के साथ मैंने राज्यपाल से आगे की कार्रवाई के लिए सिफारिश की है.’

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उन्होंने यह भी कहा, ‘मैंने प्रत्येक व्यक्ति पर अभियोजन की सिफारिश की है. मैंने राज्यपाल को यह बताया है. अब उन्हें कार्रवाई करनी है.’ एक सवाल के जवाब में हेगड़े ने फटाक से जवाब दिया, ‘भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. और क्या?’ रिपोर्ट में प्रदेश में मई 2008 से सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को प्रदेश में खनन कार्य में अनियमितताओं और गैरकानूनी गतिविधियों को रोक नहीं पाने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. हेगड़े की मुख्य रिपोर्ट 943 पन्नों की है.

उन्होंने कहा, ‘जांच में बड़े स्तर पर अधिकारियों, प्रशासन तथा जमीनी स्तर पर दोनों ही जगह प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता सामने आई है.’ हेगड़े ने कहा कि जांच के दौरान उन्हें पता लगा कि लौह अयस्क के व्यापार से जुड़ी एक कंपनी ने मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों द्वारा संचालित ट्रस्ट को 10 करोड़ रुपये दान किये थे.

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हेगड़े ने कहा कि एक खनन कंपनी ने ट्रस्ट से एक एकड़ जमीन सुझायी गयी 1.40 करोड़ रुपये की दर से कहीं ज्यादा 20 करोड़ रुपये में खरीदी. उन्होंने कहा, ‘यह भुगतान ट्रस्ट को किया गया जिसे दानदाता कंपनी से कोई लेना देना नहीं था. कंपनी का कामकाज अच्छा नहीं चल रहा था लेकिन उसने एक अन्य कंपनी से धन उधार लेकर ट्रस्ट को दान दिया. मेरे लिए इस असामान्य ऊंची कीमत को समझ पाना बहुत कठिन है.’

हेगड़े ने कहा, ‘हम इस निर्विवाद निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह दान और बिक्री वास्तविक कारणों से परे अन्य वजहों को सोचकर किये गये.’ उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि रिपोर्ट में मुख्यमंत्री, उनके परिजन, रेड्डी बंधु, श्रीरामूलू, कुमारस्वामी तथा 600 से अधिक अधिकारियों के नाम हैं. कुमारस्वामी के संदर्भ में जांच में उनकी ओर से खनन के दो पट्टे देने में कदाचार की बात सामने आई है और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत कार्रवाई की सिफारिश की गयी है.

बैंगलोर के बाहर राचेनाहल्ली में एक एकड़ जमीन को 1.4 करोड़ रुपये के सुझाये गये मूल्य के बावजूद 20 करोड़ रुपये में खरीदे जाने का जिक्र करते हुए लोकायुक्त ने इसे ट्रस्ट को किया गया असामान्य भुगतान कहा जिसका दानदाता कंपनी से कोई लेना देना नहीं है, जो कि आर्थिक तौर पर भी मजबूत नहीं है. हेगड़े ने कहा कि उनके लिए यह मान लेना बहुत कठिन है कि एक कंपनी जिसके पास वित्तीय संसाधन नहीं हैं उसने दान देने के लिए अन्य कंपनियों से उधार लिया होगा.

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हेगड़े ने कहा, ‘इसलिए भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत अपराध होने के नतीजे पर पहुंचने के साथ ही मैंने राज्यपाल से इस संबंध में (मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ) आगे कदम उठाने की सिफारिश की है क्योंकि मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए समक्ष प्राधिकार प्रदेश के राज्यपाल हैं.’ उन्होंने कहा कि लोकायुक्त ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है और अनुलग्नकों के साथ रिपोर्ट की एक प्रति आगे की कार्रवाई के लिए राज्यपाल को भेजी गयी है.

रेड्डी बंधु के बारे में हेगड़े ने कहा कि कर्नाटक में खनन नहीं करने के उनके दावे के विपरीत तथ्यों को साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज हैं. उन्होंने कहा कि अलग अलग किस्म की अनियमितताएं मिली हैं और उनके समर्थन में दस्तावेज हैं. हेगड़े ने कहा, ‘अनेक लोगों और कंपनियों द्वारा किये गये अपराधों को अनेक कानूनों के दायरे में लाया जाएगा और भारतीय दंड संहिता, वन अधिनियम, एफएमआरडीए तथा भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी.’

उन्होंने कहा कि लोकायुक्त ने अनेक अनियमितताओं के मद्देनजर सिफारिश की है कि सरकार को खनन लाइसेंस निरस्त कर देने चाहिए, नुकसान की गणना करनी चाहिए और इसे ‘चोरी हुआ लौह अयस्क’ मानते हुए संबंधित लोगों से बाजार मूल्य पर इसका धन वसूलना चाहिए. लोकायुक्त की जांच में यह बात सामने आई है कि बेल्लारी, चित्रदुर्ग और तुमकुर में तेजी से अवैध खनन हुआ जिसके चलते स्थानीय लोगों ने अनेक समस्याओं का सामना किया.

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अवैध खनन में 100 से अधिक कंपनियों को शामिल बताते हुए हेगड़े ने कहा, ‘अवैध खनन रुक जाए तो केंद्र तथा राज्य सरकार आबकारी व वैट कर से लाखों करोड़ों रुपये प्राप्त कर सकते हैं.’ हेगड़े ने सरकार से इस बात की भी सिफारिश की है कि लोकायुक्त के अधिकारियों के दल को सुरक्षा मिलनी चाहिए क्योंकि उन्हें खतरा हो सकता है. जांच दल ने रिपोर्ट तैयार करने में चार लाख रिकार्ड का अध्ययन करने और करीब 50 लाख प्रविष्टियों को क्रम में लगाने का बड़ा काम किया.

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