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लोकायुक्त ने की पीएम को लोकपाल में लाने की वकालत

उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने की वकालत करते हुए कहा कि सिर्फ लोकपाल से भ्रष्टाचार कम नहीं होगा.

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उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने की वकालत करते हुए कहा कि सिर्फ लोकपाल से भ्रष्टाचार कम नहीं होगा.

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न्यायमूर्ति मेहरोत्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिये. साथ ही उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त को कर्नाटक, केरल तथा मध्य प्रदेश की तरह ही व्यापक अधिकार दिये जाने चाहिये.

हालांकि उन्होंने कहा कि अकेले लोकपाल से भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगेगी लेकिन इससे माहौल जरुर बना है जो एक अच्छी बात है. मेहरोत्रा ने कहा कि शिक्षा जैसे क्षेत्र में खुला भ्रष्टाचार है इसलिए उच्च शिक्षा, ग्राम प्रधान और अनुदानित शिक्षण संस्थायें भी लोकायुक्त जांच के दायरे में आनी चाहिए.

उन्होंने खुलासा किया कि प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री नसीमुददीन सिद्दीकी सहित 22 मंत्रियों तथा मौजूदा विधानसभा के 28 सदस्यों पर गंभीर आरोप लगे हैं और इनमें से नब्बे प्रतिशत विधायक बसपा के हैं. लोकायुक्त ने इस बात पर अफसोस जताया कि बादशाह सिंह, रंगनाथ मिश्र, रतनलाल अहिरवार सहित पांच मंत्रियों पर दोष सिद्ध होने पर उन्हें बख्रास्त तो कर दिया गया लेकिन आज तक उनके द्वारा कब्जा की जमीनों पर से उन्हें हटाया नहीं गया है और ना ही उन मंत्रियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है.

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उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है. रिश्वत से दाखिले और परीक्षाफल जारी हो रहे हैं ऐसी स्थिति में बच्चों का भविष्य कैसा होगा. लोकायुक्त ने कहा कि जब तक अनुदान वाली शिक्षण संस्थाएं और उच्च शिक्षा लोकायुक्त जांच दायरे शामिल नहीं होगी तब तक भ्रष्टाचार चरम पर ही रहेगा. उन्होंने बताया कि प्रदेश के गृह सचिव फतेह बहादुर और पुलिस महानिदेशक पर भी गंभीर आरोप लगे हैं. कुछ मामलों में पुलिस महानिदेशक से जवाब मिल गया है.

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