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अन्‍ना की मुहिम को भारी जनसमर्थन: आजतक सर्वे

सर्वे में शामिल 75 फीसदी लोग चाहते हैं कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में आना चाहिए. आजतक-ओआरजी सर्वे में अन्‍ना हजारे व उनके जनलोकपाल के बारे में लोगों ने बेबाकी से अपनी राय रखी है.

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अन्‍ना हजारे
अन्‍ना हजारे

सर्वे में शामिल 75 फीसदी लोग चाहते हैं कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में आना चाहिए. आजतक-ओआरजी सर्वे में अन्‍ना हजारे व उनके जनलोकपाल के बारे में लोगों ने बेबाकी से अपनी राय रखी है.

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अन्ना हजारे ने एक बार फिर कर दिया है भ्रष्टाचार के खिलाफ एलान-ए-जंग. मजबूत लोकपाल के लिए 16 अगस्त से अन्ना हजारे फिर करेंगे अनशन, लेकिन क्या देश इस एलान-ए-जंग के साथ है. क्या देश अन्ना के अनशन के लिए तैयार है? सरकार के लोकपाल बिल के बारे में देश की जनता क्या सोचती है? अन्ना के अनशन से ठीक पहले आजतक ने एक अहम सर्वे किया है. आजतक ने देश की जनता की कब्ज टटोली है. 10 शहरों में किए गए आजतक-ओरआरजी सर्वे में बेहद दिलचस्प नतीजे मिले हैं.

15 अगस्त को देश आजादी का जश्न मनाएगा और जश्न के ठीक एक दिन बाद शुरू होगी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई जंग. भ्रष्टाचार से देश की आजादी के लिए फिर से आवाज़ बुलंद की जाएगी.

अन्ना हजारे का एलान है कि लोकपाल के मसले पर वे अनशन शुरू करेंगे. ये अनशन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मानती. सरकार ऐसा लोकपाल बनाने का भरोसा नहीं देती, जिससे देश को भ्रष्टाचार के कलंक से छुटकारा मिल सके, देश सचमुच भ्रष्टाचार से पूरी तरह आजाद हो सके.

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देश की जनता के सामने रखे लोकपाल और भ्रष्टाचार के खात्मे के मसले से जुड़े तमाम सवाल. ये सर्वे हाल ही में किया गया है. सर्वे 7 अगस्त से 12 अगस्त के बीच किया गया है. आजतक-ओआरजी के इस सर्वे में देश के 10 बड़े शहरों में जनता की राय ली गई है और कुल 4012 लोगों की राय लेने के बाद नतीजे तैयार किए गए हैं.

सवाल कई हैं औऱ देश की जनता ने हर सवाल पर खुलकर जवाब दिए हैं. पीएम लोकपाल के दायरे में हों या नहीं, हाय़र ज्यूडिशियरी लोकपाल के दायरे में हो या नहीं? इन सवालों पर देश अन्ना के साथ है या सरकार के साथ.

अन्ना हजारे ने आवाज बुलंद की, भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए लोकपाल बिल देश में लागू करने का दबाव सरकार पर बढ़ाया तो सरकार ने लोकपाल बिल का एक ड्राफ्ट बनाकर सदन में पेश कर दिया, लेकिन सरकार के लोकपाल बिल से क्या देश की जनता संतुष्ट है? या सरकारी लोकपाल महज दिखावा है?

देश के 10 बड़े शहरों में किए गए सर्वे में पूछा गया:
1. क्या प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में होना चाहिए?
देश की 75 फीसदी जनता की राय है कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में होना चाहिए? सिर्फ 18 फीसदी जनता ने कहा नहीं और 7 फीसदी जनता ने कहा मालूम नहीं. देश के तमाम बड़े शहरों-बैंगलोर, भोपाल, चैन्नई, दिल्ली हैदराबाद, कोलकाता में अन्ना की मांग को जबरदस्त समर्थन मिला है. सिर्फ अहमदाबाद औऱ पटना के लोगों ने लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री को रखने की अन्ना की मांग को कम समर्थन दिया.

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2. क्या उच्च न्यायपालिका यानी हायर ज्यूडिशियरी को लोकपाल के दायरे में होना चाहिए?
इसके जवाब में भी 75 फीसदी जनता ने कहा हां, और 17 फीसदी जनता ने कहा नहीं और 8 फीसदी जनता ने कोई राय नहीं दी. हालांकि इस सवाल पर भी अहमदाबाद और पटना के लोगों ने हां और ना के जवाब को लगभग बराबर समर्थन दिया, लेकिन दिल्ली के लोगों ने उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने की पुरजोर वकालत की.

3. क्या सांसदों और संसदीय समितियों को लोकपाल के दायरे में होना चाहिए?
इस सवाल के जवाब में भी अन्ना हजारे ग्रुप की मांग को जबरदस्त समर्थन दिखा. 80 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया, जबकि सिर्फ 9 फीसदी लोगों ने कहा नहीं और 11 फीसदी लोगों की कोई राय नहीं थी. अगला सवाल सरकारी अफसरों, अधिकारियों में फैले भ्रष्टाचार से जुड़ा था. सरकारी बिल में बड़े नौकरशाहों को तो लोकपाल के दायेर में रखा गया है लेकिन पूरी नौकरशाही को नहीं.

4. क्या पूरी नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में होना चाहिए?
इस सवाल का जवाब भी वैसा ही आया, लोकपाल बिल में जिस तरह की मांग अन्ना हजारे कर रहे हैं यानी 81 फीसदी लोग चाहते हैं कि पूरी नौकरशाही लोकपाल के दायरे में हों. इसके विपक्ष में सिर्फ 8 फीसदी लोग थे. कुल मिलाकर अन्ना हजारे ग्रुप की जो चार बड़ी मांगें हैं उन सब पर देश की जनता मुहर लगाती है और सरकार के लोकपाल बिल को सिरे खारिज करार देती है.

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आजतक-ओरआरजी के सर्वे के मुताबिक देश अन्ना के साथ है, लेकिन सबसे खास बात ये है कि देश की युवा ताकत जिनके कंधों पर देश का भविष्य है, आने वाले दिनों में जो देश की बागडोर संभालेंगे वो भी अन्ना के साथ हैं.

लोकपाल पर आजतक-ओआरजी सर्वे में हमने ये जानने की भी कोशिश की कि अन्ना हजारे फिर से अनशन पर बैठने का डर दिखाकर देश की चुनी हुई सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन उनके अनशन को देश की जनता का समर्थन है भी या नहीं? अन्ना हजारे ताल ठोककर कहते तो हैं कि मजबूत लोकपाल के लिए उनकी जो मांग है, वो देश की जनता की मांग है, लेकिन देश की जनता भी ऐसा सोचती है या नहीं?

5. क्या भ्रष्टाचार की अधिकतम सजा उम्रकैद होनी चाहिए?
71 फीसदी लोगों की राय में हां में है. भ्रष्टाचारियों के उम्रकैद की अधिकतम सजा का विरोध करने वाले सिर्फ 15 फीसदी लोग ही हैं, जबकि 14 फीसदी लोगों ने इस मसले पर कोई राय नहीं दी. इस सवाल देश के सभी शहरों की राय कमोबेश एक जैसी है.

6. क्या भ्रष्ट सरकारी अधिकारी की सारी संपत्ति जब्त होनी चाहिए?
74 फीसदी जनता चाहती है कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारी की पूरी संपत्ति जब्त होनी चाहिए. इस सवाल का सिर्फ 14 फीसदी लोगों ने ना में जवाब दिया और 12 फीसदी लोगों ने कहा मालूम नहीं. इस सवाल पर भी सर्वे में शामिल तमाम शहरों के लोगों की राय एक जैसी है.

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7. क्या सरकार का लोकपाल बिल भ्रष्टाचार से सख्ती से निबट पाएगा?
इस सवाल के जवाब ने सरकार की पोल खोल दी है. 54 फीसदी लोग मानते हैं कि सरकार के लोकपाल बिल से भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं हो पाएगा. जिन लोगों ने सरकार के लोकपाल बिल को सही ठहराया है, वो 31 फीसदी ही हैं जबिक 15 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी. हालांकि इस सवाल के जवाब में गौर करने की बात ये भी है कि भोपाल, हैदराबाद, लखनऊ और पटना में सरकारी लोकपाल का विरोध करने वालों के बनिस्‍पत वैसे लोग ज्यादा हैं जो सरकारी लोकपाल बिल का समर्थन करते हैं.

8. क्या लोकपाल पर अन्ना हजारे ग्रुप का सरकार पर दबाव डालना संसद और सांसदों की गरिमा कम करती है?
इस सवाल का जवाब बेहद चौकाने वाला है. इस सवाल के जवाब में 60 फीसदी लोगों ने ये कहा कि हां अन्ना हजारे की टीम लोकपाल बिल में विशेष प्रावधान कराने के लिए जो सरकार पर दबाव डाल रहे हैं उससे संसद और सांसदों की गरिमा कम होती है. सिर्फ 21 फीसदी लोगों ने सरकार पर दबाव बनाने को सही ठहराया. 19 फीसदी लोगों ने इस मामले में कोई राय नहीं दी. चेन्नई, मुंबई और पटना में वैसे लोगों की तादाद ज्यादा है जिन्होंने हां में जवाब दिया है.

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कहीं ऐसा तो नहीं देश की जनता अन्ना की मांग का समर्थन तो करती है, लेकिन चाहती ये है कि जो काम अन्ना हजारे और उनकी टीम कर रही है, वो जनता के चुने हुए प्रतिनिधि यानी सांसद करें. भ्रष्टाचार और लोकपाल के मसले पर सांसद खुलकर सामने आएं. बहरहाल, इस अहम मसले पर देश की जनता ने अपनी राय दे दी है.

9. चुने गए प्रतिनिधि न होने के बावजूद क्या अन्ना देश की जनता के मत की नुमाइंदगी करते हैं?
आपको सुनकर हैरानी होगी कि देश की 73 फीसदी जनता मानती है कि हां अन्ना हजारे देश की जनता के विचारों की, जनता के मतों की पूरी नुमाइंदगी करते हैं. यानी अन्ना जो कह रहे हैं वो देश के जनता की मांग है. सिर्फ 13 फीसदी लोगों ने इस सवाल का जवाब ना में दिया औऱ 14 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी.

10. लोकपाल पर देश की जनता का सही मत अन्ना हजारे व्यक्त करते हैं या सांसद?
देश की जनता का जवाब यह है कि सिर्फ 18 फीसदी लोग ही मानते हैं उनके चुने गए प्रतिनिधि य़ानी देश की सर्वोच्च संस्था में बैठने वाले सांसद देश की जनता का मत व्यक्त करते हैं. 67 फीसदी लोगों की राय में अन्ना हजारे की मांग जनता की मांग है. अन्ना हजारे जनता की मांग की सही नुमाइंदगी करते हैं.

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11. क्या मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना हजारे के अनशन का समर्थन करते हैं?
77 फीसदी जनता की राय में मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना हजारे का अनशन करना सही है, 77 फीसदी जनता अन्ना के अनशन को समर्थन करती है, अन्ना के अनशन को समर्थन नहीं देने वाले सिर्फ 13 फीसदी हैं जबकि 10 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी.

आजतक-ओरआरजी के सर्वे में देश के 10 बड़े शहरों में कुल 4012 लोगों की राय ली गई है और सर्वे के नतीजों से साफ है कि अन्ना की आंधी आने से पहले सरकार को संभल जाना चाहिए क्योंकि देश की जनता अन्ना के साथ है.

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