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लोकपाल को बिना अनुमति आरोपपत्र दाखिल करने के अधिकार के खिलाफ कानून मंत्रालय

कानून मंत्रालय ने लोकपाल विधेयक में एक प्रावधान पर विरोध दर्ज कराया है जो लोकपाल को किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ बिना सक्षम अधिकारी की पूर्व अनुमति के आरोपपत्र दाखिल करने का अधिकार देता है. मंत्रालय ने इसे ‘संरक्षण के सिद्धांत’ के विरुद्ध बताया.

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सलमान खुर्शीद
सलमान खुर्शीद

कानून मंत्रालय ने लोकपाल विधेयक में एक प्रावधान पर विरोध दर्ज कराया है जो लोकपाल को किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ बिना सक्षम अधिकारी की पूर्व अनुमति के आरोपपत्र दाखिल करने का अधिकार देता है. मंत्रालय ने इसे ‘संरक्षण के सिद्धांत’ के विरुद्ध बताया.

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मंत्रालय ने लोकपाल विधेयक का अध्ययन कर रही राज्यसभा की प्रवर समिति के समक्ष कहा, ‘लोकपाल द्वारा अभियोजन के प्रस्ताव की स्थिति में पूर्व अनुमति लेने की जरूरत को हटाने का प्रावधान सरकारी सेवकों के लिए जरूरी संरक्षण के सिद्धांत के खिलाफ होगा.

मंत्रालय ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 और 320 और खंड 3 (सी) के तहत प्राप्त संवैधानिक संरक्षण पर प्रस्तावित कानून के प्रावधानों का प्रतिकूल असर पड़ेगा.

लोकपाल विधेयक के अध्याय 7, खंड 23 (1) के अनुसार, ‘लोकपाल के निर्देश पर जांच या प्रारंभिक पूछताछ के लिए या इस अधिनियम के तहत विशेष अदालत के समक्ष इस संबंध में जांच पूरी होने की क्लोजर रिपोर्ट या आरोपपत्र दाखिल करने के लिए लोकपाल को किसी अधिकारी की मंजूरी या अनमुति नहीं चाहिए होगी.’

कानून मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के लिए सुरक्षा मानक मुहैया कराने के लिहाज से भी विधेयक में एक प्रावधान में संशोधन की वकालत की है ताकि लोकपाल के अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु उर्जा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पूछताछ नहीं कर सकें. मंत्रालय ने समिति से कहा कि पीएमओ के अधिकारियों को पूछताछ से संरक्षण देने के लिए विधेयक के मसौदे में संशोधन की जरूरत है.

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जब पूछा गया कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा, परमाणु उर्जा और सार्वजनिक व्यवस्था जैसे मुद्दों पर मौजूदा विधेयक में प्रधानमंत्री को दिये गये संरक्षण के दायरे में अधिकारी भी आते हैं तो मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, ‘यह व्यक्तिगत तौर पर प्रधानमंत्री पर लागू होता है.’

जब समिति के कुछ सदस्यों ने पूछा कि जहां प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर लोकपाल द्वारा पूछताछ नहीं की जा सकती लेकिन क्या उनके निजी सचिव को जानकारी देने के लिए बुलाया जा सकता है तो मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के परिदृश्य में प्रावधान में बदलाव की जरूरत है.

मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि प्रावधान में समुचित तरीके से बदलाव होना चाहिए. उन्होंने मसौदे में कुछ बदलावों की जरूरत बताई.
उन्होंने इस बात पर भी रजामंदी जताई कि संवेदनशील मुद्दों को संभालने वाले लोगों को छूट मिलनी चाहिए.

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