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संविधान के दायरे में हो लोकपाल: मनमोहन

सरकार ने रविवार को कहा कि वह उच्च स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिये मजबूत और प्रभावशाली लोकपाल के गठन के लिय प्रतिबद्ध है, लेकिन इसे अन्य संस्थानों और कानूनों के सामंजस्य तथा संविधान के मूल ढांचे के अंतर्गत काम करना होगा.

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

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सरकार ने रविवार को कहा कि वह उच्च स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिये मजबूत और प्रभावशाली लोकपाल के गठन के लिय प्रतिबद्ध है, लेकिन इसे अन्य संस्थानों और कानूनों के सामंजस्य तथा संविधान के मूल ढांचे के अंतर्गत काम करना होगा.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकपाल के मुद्दे पर अपने निवास पर बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में शुरुआती संबोधन में कहा कि संसद के आगामी मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक लाने के लिये सरकार प्रतिबद्ध है लेकिन यह हमारे लोकतांत्रिक ढ़ांचे में मौजूद अन्य संस्थाओं की तर्कसंगत भूमिका और उनके प्राधिकार को कमतर नहीं करे. उन्होंने कहा, ‘हमारा संविधान एक-दूसरे के अधिकार क्षेत्र में परस्पर संतुलन की व्यवस्था पर कायम है और लोकपाल के संस्थान को इसी ढ़ांचे में अपनी उचित जगह तलाशनी होगी.

प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, जद (यू) अध्यक्ष और राजग संयोजक शरद यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी, भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता, शिरोमणि अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा, राजद के लालू प्रसाद और अन्नाद्रमुक के वी. मैत्रेयन सहित विभिन्न दलों के नेताओं की मौजूदगी में यह बात कही.

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उन्होंने कहा, ‘मैं यह कहना चाहूंगा कि भ्रष्टाचार की समस्या से निपटने के लिये एक अच्छा कानून और एक अच्छा संस्थान जरूरी है, लेकिन यह अपने आप में काफी नहीं है.’ मनमोहन ने कहा कि सरकार संसद के मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक लाने के लिये प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे संस्थान को जनता के बड़े वर्ग का समर्थन प्राप्त हो और विधेयक के प्रति अधिकतम संभव आम राय बने.’

मनमोहन सिंह ने कहा कि हमें यह बात ध्यान में रखनी होगी कि हम जो भी व्यवस्था प्रस्तावित करें, वह हमारे समाज और देश के व्यापक हित में हो. प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिये हमें सरकार के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने, प्रक्रियाओं को आसान बनाने, विशेषाधिकार कम करने और मनमाने तरीकों को समाप्त करने पर ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि यह हमारा अनुभव है कि जब भी इस तरह के संस्थागत परिवर्तन किये जाते हैं तो उससे भ्रष्टाचार के मामलों में नाटकीय रूप से कमी आती है. हम इस प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं और हम इसे पूरी शिद्दत और रफ्तार से आगे बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध हैं.

उन्होंने कहा कि उसी परिप्रेक्ष्य में यह (सर्वदलीय) बैठक बुलायी गयी है ताकि इस विषय पर बेबाक चर्चा हो सके और उसके आधार पर संसद में एक उचित विधेयक पेश किया जा सके.

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