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सरकार ने धोखा दिया, 16 अगस्‍त से अनशन: अन्‍ना

लोकपाल पर एक बार फिर सरकार और अन्ना हजारे के बीच तलवारें खिंच गई हैं. अन्ना की मांग के उलट कैबिनेट ने जिस लोकपाल के ड्राफ्ट को मंजूरी दी है, उसमें प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है.

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अन्ना हजारे
अन्ना हजारे

गांधीवादी अन्ना हज़ारे पक्ष ने कैबिनेट द्वारा मंजूर किये गये लोकपाल मसौदा विधेयक को ‘क्रूर मज़ाक’ बताते हुए उसके खिलाफ 16 अगस्त से फिर अनशन शुरू करने का फैसला किया और प्रधानमंत्री को छूट देने वाले प्रावधान को अदालत में चुनौती देने का संकेत दिया. हज़ारे पक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से छूट देने का प्रावधान असंवैधानिक है जो उच्चतम न्यायालय में खारिज हो सकता है.

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हज़ारे ने महाराष्ट्र स्थित रालेगण सिद्धी में कहा, ‘पूरा देश 16 अगस्त को जंतर मंतर पर मेरे साथ नजर आयेगा. यह हज़ारे का नहीं, बल्कि पूरे देश का विरोध प्रदर्शन होगा. जनता को इसे अपनी आजादी की दूसरी लड़ाई के रूप में देखना होगा और सड़कों पर उतरना होगा.’

उनके साथी कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘अन्ना हज़ारे इस विधेयक को वापस लेने और इसके बदले संसद में एक नया और मजबूत विधेयक पेश करने की मांग को लेकर 16 अगस्त से फिर अनशन करेंगे.’

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लोकपाल मसौदा संयुक्त समिति में शामिल रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इस विधेयक के पारित होने की स्थिति में उसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने के संकेत देते हुए कहा, ‘सरकार प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में आने से छूट देना चाहती है. लेकिन यह प्रावधान शीर्ष अदालत में एक मिनट भी नहीं टिक सकता.’

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उन्होंने कहा, ‘सरकार में शामिल और वकालत का अनुभव रखने वाले मंत्रियों ने प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान करके संविधान के प्रति समझ को लेकर ‘पूर्ण निरक्षरता’ दर्शायी है. प्रधानमंत्री के पदमुक्त होने के बाद उन्हें दायरे में लाने का तर्क अजीब है.’

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भूषण ने कहा कि वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान में 39वां संशोधन किया था जिसके तहत प्रधानमंत्री के निर्वाचन को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी. उच्चतम न्यायालय की छह सदस्यीय पीठ ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए संशोधन को सिरे से खारिज कर दिया था.

उन्होंने कहा, ‘इसी तरह लोकपाल मसौदा विधेयक में प्रधानमंत्री को छूट देता प्रावधान भी शीर्ष अदालत में टिक नहीं पायेगा. सरकार का यह मसौदा विधेयक देश की जनता के साथ क्रूर मजाक है.’ 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा द्वारा अदालत में प्रधानमंत्री का नाम लेने के बारे में चुटकी लेते हुए भूषण ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री रिश्वत लेते होंगे लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने अपनी कैबिनेट को भ्रष्टाचार करने दिया, जबकि वह पूरी तरह जानते थे कि उनकी सरकार में क्या हो रहा है. वह जानते थे कि क्या चल रहा है लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की.’

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सरकार चाहती है 'सरकारी लोकपाल'

भूषण ने कहा कि सरकार ने संयुक्त मसौदा समिति में शामिल उसके पांच मंत्रियों के मसौदे में मामूली हेरफेर कर उसे मंजूर कर दिया है. इसमें हज़ारे पक्ष के मसौदे पर विचार नहीं किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र के पांच मंत्रियों ने हज़ारे पक्ष के मसौदे के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर सरकार के समक्ष रखते हुए दावा किया कि समाज के सदस्यों की अधिकतर मांगें मान ली गयी हैं.

भूषण ने कहा कि सरकार अगर सोचती है कि वह जनता को इस क्रूर मजाक के साथ धोखा दे सकती है तो वह गलत है. लोकपाल विधेयक के संसद में पारित होने से पहले ही 16 अगस्त से आंदोलन का प्रण दोहराने के पीछे के तर्क के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा, ‘संसद में यह विधेयक स्थायी समिति के पास जायेगा, लेकिन इस समिति की भी अपनी सीमाएं हैं. समिति सिफारिशें कर सकती हैं लेकिन मूल विधेयक को पलट नहीं सकती. यही कारण है कि हम इस विधेयक को वापस लेने और दूसरा विधेयक पेश करने की मांग करेंगे.’

क्या हज़ारे पक्ष राजनीतिक दलों से फिर संवाद करेगा, क्योंकि संसद में इस विधेयक पर फैसला दलों को ही करना है, इस पर आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि अगर जरूरत महसूस हुई तो ऐसा फिर किया जा सकता है. पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने इस मसौदा विधेयक को देश के साथ छल करार दिया. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के बाद राज्यों में लोकायुक्त के गठन में भी मुख्यमंत्री पद को दायरे से बाहर रखा जाने लगेगा.

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