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लोकपाल ड्राफ्ट तैयार, अन्ना की मांग अनसुनी

लोकपाल बिल का फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया गया है. इसके मुताबिक लोकपाल को संवैधानिक दर्जा मिलेगा. लेकिन सी और डी कर्मचारी को दायरे में रखे जाने की अन्ना की वकालत के बावजूद उन्हें लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है.

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अभिषेक मनु सिंघवी
अभिषेक मनु सिंघवी

लोकपाल बिल का ड्राफ्ट तैयार हो गया है. इसमें केंद्र सरकार के सी एवं डी श्रेणी के कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया है. प्रधानमंत्री को भी इस दायरे में फिलहाल नहीं रखा गया है और ना ही सीबीआई के एंटीकरप्‍शन विंग को इसमें शामिल किया गया है. प्रधानमंत्री पद के मसले को संसद के विवेक पर छोड़ने का फैसला किया गया है. प्राप्‍त जानकारी के अनुसार लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिया जाएगा.

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सिटीजन चार्टर को लोकपाल के दायरे से अलग रखे जाने की बात की गई है. केंद्र सरकार के सी और डी श्रेणी के कर्मचारियों को इस दायरे में नहीं रखा जाएगा. हालांकि राज्‍यों के लिए जिस लोकपाल की बात की गई है उसमें सभी श्रेणी के कर्मचारी इसके दायरे में आएंगे. ज्‍यूडिसरी को भी इस दायरे से बाहर रखा गया है और सिटीजन चार्टर के लिए अलग कानून बनाने की बात कही गई है.

अगस्‍त में अन्‍ना का आंदोलन इस बात को लेकर थमा था कि सरकार सिटीजन चार्टर एवं सभी श्रेणी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाएगी. इसके लिए संसद में सभी ने सहमति जाहिर की थी. अभी जो ड्राफ्ट सामने आया है उसमें यह दोनों नहीं है. हालांकि इस ड्राफ्ट में सीबीआई और सीवीसी के ऊपर लोकपाल को रखे जाने की बात की गई है लेकिन सीबीआई का एंटीकरप्शन विंग इसमें नहीं रखा जाएगा.

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उधर टीम अन्‍ना ने 11 दिसंबर को जंतर मंतर पर खुली बहस की चुनौती दी है. इसके लिए टीम अन्‍ना की ओर से कहा गया है कि वह सभी राजनीतिक दलों को पत्र भेजकर इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित कर रही है. अगर मौजूदा ड्राफ्ट संसद में पेश किया गया तो यह तय है कि अन्‍ना फिर से अनशन पर बैठेंगे.

वैसे अन्‍ना ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि अगर जिन बातों पर संसद में सहमति जताई गई थी वह बात लोकपाल में शामिल नहीं किया जाता है और शीतकालीन सत्र में बिल पास नहीं होता है तो 27 दिसंबर से 8 दिनों के लिए अनशन होगा. इसके साथ ही पांच राज्‍यों में जहां कि मतदान होना है, जाकर जनता को इसके विषय में बताया जाएगा कि सरकार किस प्रकार अपने वादे से मुकर रही है.

इससे पहले लोकपाल पर रिपोर्ट को संसद में पेश किए जाने में विलंब को लेकर हो रही आलोचनाओं को खारिज करते हुए संसदीय समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि प्रक्रियागत कारणों के चलते कुछ दिन का समय और मांगा गया था. संसद में रिपोर्ट पेश करने के लिए और समय की मांग के मुद्दे पर सिंघवी ने उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुवाद तथा इसकी बाइंडिंग के लिए ‘प्रक्रियागत विस्तार’ मांगा गया है और इसे विलंब नहीं कहा जाना चाहिए.

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अंसारी से मुलाकात के बाद सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘अगर काम कल हो जाता है तो रिपोर्ट दो या तीन दिन में संसद में पेश कर दी जाएगी.’ उन्होंने कहा कि किसी अन्य संसदीय समिति ने इतने व्यापक और जटिल विषय पर केवल ढाई माह में रिपोर्ट पूरी नहीं की होगी.

लोकपाल विधेयक इस साल अगस्त में कार्मिक तथा विधि एवं न्याय विभाग की स्थायी समिति के पास भेजा गया था. समिति को रिपोर्ट पेश करने के लिए तीन माह का समय दिया गया था. समिति को अपनी रिपोर्ट नौ नवंबर को पेश करनी थी, लेकिन उसका समय सात दिसंबर तक बढ़ा दिया गया.

सिंघवी ने कहा कि अंतिम रिपोर्ट समिति की भावना तथा लोकपाल विधेयक पर सदस्यों के मतभेदों को परिलक्षित करेगी. लोकपाल विधेयक के मसौदे में वर्णित सिफारिशों को अन्ना पक्ष द्वारा खारिज किए जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर सिंघवी ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट किसी को या हर किसी को खुश करने के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रीय हित में तैयार की है. सिंघवी का कहना था कि रिपोर्ट हर व्यक्ति, संगठन या सभी लोगों या संगठनों को खुश नहीं करती और यह उस व्यक्ति की समस्या है जो इससे सहमत नहीं है.

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