टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी ने संसद की स्थायी समिति की ओर से लोकपाल विधेयक पर तैयार मसौदे को लेकर निराशा जाहिर की है.
किरण ने बताया, ‘सरकार अपने वादों से पीछे हट गई है. हम फिर से जन आंदोलन का आह्वान करेंगे.’ उनसे समिति की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया था. समिति ने निचले स्तर की नौकरशाही लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की सिफारिश की है.
स्थायी समिति ने न्यायपालिका और संसद के भीतर सांसदों के व्यवहार को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की पैरवी की है. हजारे पक्ष संपूर्ण नौकरशाही, न्यायपालिका और प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने पर जोर देता रहा है.
किरण ने कहा, ‘न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे से बाहर रखना लोगों की मांगों के लिए झटका है क्योंकि लोग न्यायपालिका को इसके दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं. न्यायपालिका का भ्रष्टाचार न लोकपाल विधेयक में और न ही न्यायिक जवाबदेही विधेयक के दायरे में नजर आता है.’ किरण ने एनजीओ, कॉरपोरेट और मीडिया को भी लोकपाल के दायरे में लाने के प्रस्ताव का स्वागत किया है.