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ग्रुप-बी के अफसरों को लोकपाल में लाना सराहनीय: टीम अन्‍ना

अन्ना हज़ारे पक्ष ने प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में ग्रुप-बी के अधिकारियों को भी शामिल करने तथा एक ही विधेयक के जरिये केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन करने के संबंध में संसद की स्थायी समिति में बनी सहमति का आज स्वागत किया.

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टीम अन्‍ना
टीम अन्‍ना

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अन्ना हज़ारे पक्ष ने प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में ग्रुप-बी के अधिकारियों को भी शामिल करने तथा एक ही विधेयक के जरिये केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन करने के संबंध में संसद की स्थायी समिति में बनी सहमति का आज स्वागत किया.

लोकपाल विधेयक पर गौर कर रही संसद की कार्मिक और विधि तथा न्याय मामलों की स्थायी समिति की कल यहां बैठक हुई थी.

समझा जाता है कि समिति के सदस्यों के बीच इस बारे में आम सहमति बनती नजर आयी कि प्रस्तावित लोकपाल के दायरे को बढ़ाते हुए उसमें ग्रुप-बी के अधिकारियों को भी शामिल किया जाये तथा केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त के गठन के लिये भी एक ही विधेयक रखने की सिफारिश की जाये.

इस बारे में अन्ना हज़ारे के आंदोलन ‘इंडिया अगेन्स्ट करप्शन’ की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘हमने अखबारों में आयी कुछ खबरें देखी हैं जिनमें कहा गया है कि लोकपाल विधेयक पर गौर कर रही स्थायी समिति ने कुछ फैसले किये हैं. ..हम एक ही विधेयक के जरिये राज्यों में भी लोकायुक्त का गठन करने के सुझाव संबंधी स्थायी समिति के फैसले का स्वागत करते हैं. हम (प्रस्तावित विधेयक के) दायरे में ग्रुप-बी के अधिकारियों को शामिल करने के फैसले का भी स्वागत करते हैं.’’

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ग्रुप-ए के दायरे में आने वाले केंद्र सरकार के अधिकारियों की अनुमानित संख्या 85,000 है. माना जाता है कि ग्रुप-बी के तहत आने वाले अफसरों की तादाद 1.7 लाख के करीब है. हज़ारे-पक्ष की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया, ‘बहरहाल, हम स्थायी समिति से अपील करते हैं कि वह (विधेयक के दायरे से) ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के अधिकारियों को बाहर रखने के फैसले (सुझाव) पर पुनर्विचार करे. जिस गरीब आदमी का राशन गायब हो जाता है, वह कहां जायेगा? हर वर्ष 30,000 करोड़ रुपये मूल्य का राशन गरीबों तक नहीं पहुंच पाता.’’

वक्तव्य में आरोप लगाया गया, ‘‘ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के अधिकारी ही इसमें संलिप्त होते हैं. मनी ऑर्डर देने के लिये डाकिया 10 फीसदी रिश्वत मांगता है. डाकिये के भ्रष्टाचार से पीड़ित व्यक्ति कहां जायेगा? अन्ना आम आदमी को परेशान करने वाले भ्रष्टाचार से चिंतित हैं.’’

हज़ारे-पक्ष ने कहा, ‘‘न्यायाधीशों से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों को न्यायिक जवाबदेही विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है. न्यायाधीशों को लोकपाल विधेयक से भी बाहर रखने का प्रस्ताव है. ऐसा होता है तो उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत कहां की जायेगी?’

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