2जी स्पेक्ट्रम पर गहराते विवाद के बीच दूरसंचार क्षेत्र में उतरी नई कंपनी लूप टेलीकाम ने उच्चतम न्यायालय में उसे मिले 21 सर्किलों के लाइसेंस और स्पेक्ट्रम की नीलामी का प्रस्ताव दिया.
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में लूप का नाम भी अन्य कंपनियों के साथ शामिल है. कंपनी को 2008 में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में लाइसेंस आवंटित किया गया था.
लूप टेलिकॉम ने न्यायाधीश जी एस सिंघवी और न्यायाधीश ए के गांगुली की पीठ के समक्ष नीलामी की यह पेशकश की.
कंपनी के अधिवक्ता ए सुदंरम ने अदालत के समक्ष कहा कि सरकार को लूप को आवंटित लाइसेंस (स्पेक्ट्रम) की नीलामी खुले रूप से करनी चाहिए. कंपनी ने यह प्रस्ताव दिया है कि नीलामी से लाइसेंस के लिये भुगतान रकम के मुकाबले जो अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी, उसे सरकार अपने पास रख सकती है. लाइसेंस शुल्क के रूप में कंपनी ने 1,454 करोड़ रुपये दिये हैं, उसे लूप को भुगतान किया जा सकता है.
राजा के कार्यकाल में आवंटित स्पेक्ट्रम को रद्द किये जाने की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान लूप ने यह प्रस्ताव दिया.
लूप के अधिवक्ता ने यह भी कहा कि अगर कोई उच्च बोली लगाता है तो कंपनी को उसकी बराबरी पर बोली लगाने का अधिकारी होना चाहिए ताकि कंपनी को अपने कारोबार को बनाये रखने की अनुमति मिल सके जिसमें उसने निवेश किया है.
लूप पर क्रास होल्डिंग इक्विटी नियम के उल्लंघन का आरोप है और मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कई एजेंसियां कर रही हैं. कंपनी ने कहा, ‘लाइसेंस आवंटन के कारण सरकार को नुकसान पहुंचाने का लूप का कोई इरादा नहीं था. कंपनी को नीति और निर्धारित कीमत के आधार पर 21 सर्किलों के लिये लाइसेंस मिला था.’
लूप के अधिवक्ता ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस प्रस्ताव से दूरसंचार क्षेत्र को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी क्योंकि इससे कारोबार में जो अनिश्चितता है, वह दूर होगी.’