लंदन में हुए हमले के बाद भारतीय सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल केएस बरार ने कहा है कि 1984 के ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ में उनकी भूमिका को लेकर खालिस्तानी समर्थक तत्वों की ओर से उनकी हत्या का प्रयास किया गया.
बीते रविवार की रात बरार पर चार लोगों ने चाकुओं से हमला किया. उनकी गर्दन पर चोट आई थी और इस दौरान उन्होंने तीन हमलावरों का डटकर मुकाबला किया. लंदन के एक अस्पताल में वह उपचार के बाद आराम कर रहे हैं. वह मंगलवार को भारत लौटने वाले हैं.
बरार ने कहा, ‘यह मेरी का हत्या का प्रयास था. इंटरनेट पर भी मुझे इस तरह की कई धमकियां मिल रही हैं जिनमें कहा गया है कि ‘तुम पर हमले के कई प्रयास किए गए, लेकिन वे सफल नहीं रहे, अगला हमला सफल होगा.’ वे लोग हमारा पीछा करते रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘छह जून को ब्लूस्टार की वषर्गांठ होती है. लंदन में हर साल कट्टरपंथी बैनरों के साथ प्रदर्शन करते हैं और मुझे मारने का वचन लेते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमलावर खालिस्तानियों से सहानुभूति रखने वाले हैं. वे ऑपरेशन ब्लूस्टार के वक्त से मुझे मारना चाहते हैं.’
हमलावरों का डटकर मुकाबला करने वाले 78 वर्षीय बरार ने कहा, ‘अब मैं उस घटना के बारे में सोचता हूं तो इस बात का आश्चर्य होता है कि मैंने तीन लोगों का कैसे मुकाबला किया. परंतु एक सैनिक होने और सेना के साथ सालों तक काम करने के कारण मैं अपना बचाव करना जानता हूं.’
बरार ने कहा कि चारों हमलावरों में से एक ने उनकी पत्नी को अलग कर दिया और शेष तीन उन पर टूट पड़े. उनकी पत्नी गिर गईं. उन्होंने कहा कि यह सबकुछ एक मिनट के भीतर हुआ.
साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार में केंद्रीय भूमिका के कारण बरार विभिन्न चरमपंथियों और आतंकी संगठनों के निशाने पर रहे हैं. ऑपरेशन का मकसद खालिस्तानी आतंकियों और जरनैल सिंह भिंडरावाले को स्वर्ण मंदिर से बाहर निकालना था. ये आतंकवादी सिखों के लिए खालिस्तान की मांग कर रहे थे.
जनरल एएस वैद्य 1984 में सेना प्रमुख थे, जब काफी विवादास्पद ऑपरेशन ब्लू स्टार की योजना बनायी गई थी. 1986 में पुणे में वैद्य की गोली मार कर हत्या कर दी गई.