गृहमंत्रालय में रहकर देश की सुरक्षा दांव पर लगाने वाले आईएएस अधिकारी रविइंदर सिंह पर आजतक बड़ा खुलासा किया है. खुलासा यह कि रविइंदर अपने आठ आईएएस दोस्तों और एक मंत्री के साथ मिलकर एक क्राइम रैकेट चला रहा था. जिसमें सेक्स था,पैसा था और जीवन की सारी अय्याशी थी. गौरतलब है कि रविइंदर के साथ केन्द्र सरकार का एक बड़ा मंत्री भी रैकेट का हिस्सा है.
हुस्न और शबाब की ऐसी ही महफिलों में देश की संवेदनशील जानकारियां दुश्मनों के हाथ दी जा रही थीं. लाखों वसूलने वाली मॉडल और विदेश से आई कॉलगर्ल को देखकर देश की सुरक्षा से जुड़ी बेहद अहम जानकारियों का सौदा. तय होता था.
स्पेशल सेल ने रवि इंदर सिंह और पश्चिम बंगाल की एक कंपनी के दलाल विनीत के बीच की बातचीत टेप की जो इस प्रकार है .
विनीत - क्या प्रोग्राम है? बैंगलोर फाइनल मानूं?
रवि इंदर सिंह - बताता हूं
विनीत - ओके ओके
रवि इंदर सिंह - हार्डवेयर सॉफ्टवेयर की बात हो गई
विनीत -सब व्यवस्था है
सिंह - कंपनी के सॉफ्टवेयर, मार्केट वाले से ज्यादा बढ़िया होते हैं. तीन दिन रहूंगा मैं. काफी टाइम है मेरे पास. अलग अलग कंपनी का ...
विनीत -चिंता की बात नहीं.
सूत्रों के मुताबिक 19 सितंबर की इस बातचीत के बाद दलाल विनीत और रवि इंदर सिंह के मोबाइल तो बंद हो गए लेकिन कोडवर्ड में हुई इस बातचीत को सुनकर रवि इंदर सिंह के बारे में नए सुराग मिले.
सूत्रों के मुताबिक कोड भाषा में हुई इस बातचीत में हार्डवेय़र का मतलब है कमरा और सॉफ्टवेयर यानी लड़की. अब ये जानिये कि मार्केट और कंपनी के साफ्टवेयर का मतलब क्या है? मार्केट का साफ्टवेयर मतलब काल गर्ल या माडल और कंपनी का साफ्टवेयर मतलब - उस कंपनी की लडकी जिसपर इंदरजीत सिंह मेहरबानी किया करता था.
मतलब यह कि अपने बैंगलोर दौरे में रविइंदर उस कंपनी की लड़की मांग रहा था जिस कंपनी से दलाल का रिश्ता था. इसके एवज में उस जगह पर कामकाज की इजाजत देता था जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं. अगर आपको सीधे सीधे समझायें तो - किसी एयरपोर्ट, न्यूक्लीयर प्रोजेक्ट या फिर अहम सैन्य ठिकाने के आसपास किसी कंपनी को टेलीफोन टावर लगाने हैं तो उसको सिक्योरिटी क्लीयरेंस रविइंदर ही देता था. इस क्लीयरेंस के बाद मुमकिन है वो कंपनी देश की अहम जानकारी को इंटरसेप्ट कर दुश्मनों को दे रही हो.
रविइंदर सिंह के साथ जुड़े आठ आईएएस अधिकारी और एक मंत्री के इस नेटवर्क की कैसे शुरुआत हुई. इस सवाल के तह में जाने पर रवि इंदर सिंह के पिछले दस साल का कच्चा चिठ्ठा मिला .
इस शातिर आईएएस ने महज ग्यारह महीनों में गृह मंत्रालय की नींव हिला दी. {mospagebreak}
खुफिया सूचनाओं को बेचने का आरोपी रवि इंदर सिंह जनवरी 2010 में ही गृह मंत्रालय में तैनात हुआ था. यहां इसके जिम्मे टेलीकॉम, माइनिंग, शिपिंग और सरफेस ट्रांसपोर्ट विभाग से जुड़ी कई संवेदनशील फाइलें थी जिसका सीधा ताल्लुक देश की सुरक्षा से था और रवि इंदर पर इन्हीं अहम सूचनाओं को लीक करने का आरोप है लेकिन सूत्रों के मुताबिक रवि इंदर ने ये कारनामे पिछले ग्यारह महीनों में नहीं किए. उसकी साजिश का सिलसिला बहुत पहले 2001 में ही शुरू हो गया था.
पश्चिम बंगाल कैडर के इस आईएएस की मुलाकात 2001 में ही एक कंपनी के दलाल विनीत से हुई. यहां भी इस पर कोलकाता के बिजनेसमैन के लिए काम करने के आरोप लगे. इसके लिए उसने लड़की से लेकर रिश्वत तक की दलाली खाई.
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में गृह मंत्रालय में तैनाती ने उसे नए मौके दिए. आरोप है कि यहां अपने गोरखधंधे के लिए उसने महाराष्ट्र के एक नेता से संपर्क बनाया. आठ आईएएस भी इस गिरोह में शामिल हुए उसने टेलीफोन डिपार्टमेंट के दो अफसरों को भी मिलाया जिन्हें गॉड 1 और गॉड 2 का कोड दिया. इतना ही टेलीफोन टैपिंग की सूचना लेने के लिए उसने एक निजी टेलीकॉम कंपनी के अधिकारी संजीव अरोड़ा को भी शामिल किया. उसके पास तीन मोबाइल फोन फर्जी नाम से थे तो सरकारी और निजी फोन का इस्तेमाल भी धड़ल्लले से करता था.
जाहिर है रवि इंदर ने साजिश को अंजाम देने की पुख्ता व्यवस्था की थी . तभी तो उसने पिछले तीन साल में तेरह बार काठमांडू और बैंकॉक की यात्रा की. आरोप है कि वह चौदह बार पाकिस्तान के एजेंटों से भी मिला. लेकिन किसी को शक भी नहीं हुआ. हालांकि उसके पाप का घड़ा भर ही गया और फोन कॉल के जरिए ही उसकी साजिशों का भंडाफोड़ हो गया.