2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) पर लेखा परीक्षण का काम तेज करने के लिए लोक लेखा समिति (पीएसी) की ओर से दबाव डालने के आरोपों को समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने सिरे से खारिज किया. उन्होंने कहा कि यह कैग को बदनाम करने की दुर्भावनापूर्ण साजिश है जो संवैधानिक रूप से गलत, फर्जी और बेबुनियाद है.
जोशी ने संवाददाताओं से कहा, ‘जनवरी 2010 में कैग ने समिति को आश्वासन दिया था कि 2जी मामले में रिपोर्ट छह महीने में तैयार हो जायेगी. जब इस अवधि में रिपोर्ट सामने नहीं आई, तब मैंने कैग से रिपोर्ट की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी क्योंकि लोग इस रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे. इस बात की जानकारी प्राप्त करने का समिति को हक है.’
गौरतलब है कि ऐसी खबरें आई हैं कि कैग के अधिकारी आर बी सिन्हा ने 13 जुलाई 2010 को अपनी सहयोगी रेखा गुप्ता को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कैग के अधिकारियों पर टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े मामले में आडिट के काम में तेजी लाने के लिए दबाव डाला था.
जोशी ने कहा, ‘संविधान में विश्वास रखने वाले व्यक्ति के तौर पर मैं इस तरह से संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने के प्रयासों का पुरजोर विरोध करता हूं.’
उन्होंने कहा कि देश में दो-तीन संस्थाएं ऐसी है जो सरकार के कामकाज, उसकी लापरवाहियों की निगरानी रखती हैं और घोटालों का पर्दाफाश करती है, लेकिन अब इन संस्थाओं को बर्बाद करने और संविधान एवं संसदीय व्यवस्था का मान कम करने का प्रयास किया जा रहा है.
पीएसी के अध्यक्ष ने कहा, ‘मैंने कैग के अधिकारी को कभी तलब नहीं किया बल्कि सिर्फ उनसे पूछा कि रिपोर्ट की स्थिति क्या है क्योंकि वह इस मामले में आडिट करने वाले शीर्ष अधिकारी थे.’
गौरतलब है कि सिन्हा ने रेखा गुप्ता को लिखे पत्र में कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में पीएसी की जांच से जुड़े घटनाक्रम में उनपर सांसदों, मीडिया आदि का भारी दबाव है कि अगर जांच में देरी की गई तो कार्यपालिका को इस मुद्दे की लीपापोती करने का मौका मिल जायेगा.
पत्र में कहा गया कि साल 2008 में आडिट की प्रक्रिया की रफ्तार काफी धीमी थी क्योंकि दूरसंचार विभाग से दस्तावेज नहीं मिल पा रहे थे. 2009 के अंत में सीबीआई से इस मामले में फाइल प्राप्त करने का प्रयास किया गया और इन फाइलों के आलोक में आडिट हुआ.
कैग ने जनवरी 2010 में पीएसी को सूचित किया था कि आडिट का काम पूरा कर लिया गया है और रिपोर्ट छह महीने के भीतर तैयार हो जायेगी.