मध्यप्रदेश कांग्रेस ने राज्य की भाजपा सरकार में कर्नाटक के बेल्लारी लौह अयस्क घोटाले से भी बड़ा खनिज घोटाला उजागर करने का दावा करते हुए कहा है कि इसकी जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराना चाहिए.
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग अध्यक्ष मानक अग्रवाल एवं मुरैना जिला पंचायत सदस्य मनोज पाल सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत में इस घोटाले का खुलासा करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनके मंत्रियों, अधिकारियों तथा अन्य नेताओं के संरक्षण में प्रदेश की बेशकीमती खनिज संपदा, वन एवं पर्यावरण कानूनों को धता बताकर लूटकर बेचने का काम किया जा रहा है.
उन्होंने राज्य खनिज विकास निगम अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा द्वारा खनिज राज्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने संबंधी लिखे गए पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि शर्मा ने गत सात अक्टूबर को शुक्ल को लिखे एक पत्र में जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील के झीटी वन क्षेत्र में लौह अयस्क के अवैध उत्खनन को कर्नाटक के बेल्लारी में हुए घोटाले के समकक्ष बताते हुए उनसे उच्चतम न्यायालय की देखरेख में इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग की है.
अग्रवाल ने कहा कि चौंकाने वाली बात तो यह है कि शिवपुरी जिले का कुल क्षेत्रफल 10,278 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन खनिज विभाग ने सात आवेदकों को वहां 14,502 वर्ग किलोमीटर के ‘रिकोनेंस परमिट’ जारी किए हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार ने सारे नियम-कानून ताक पर रखकर ताबड़तोड़ तरीके से बेशकीमती खनिज संपदा के दोहन के लिए खदान खनिज माफियाओं को सौंप रही है, जिसमें साठ से सत्तर प्रतिशत पश्चिम बंगाल की कंपिनयां हैं, जिसमें मध्यप्रदेश के भाजपा नेता ‘स्लीपिंग पार्टनर’ हैं.
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 3,08,000 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 95 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है. सरकार ने 09, 208 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के लिए 93 कंपनियों को ‘रिकोनेंस परमिट’ जारी किए हैं तथा 20, 300 हेक्टेयर की ‘माइनिंग लीज’ देकर अरबों रूपयों का घोटाला किया है. इसकी जांच सीबीआई से कराकर कर्नाटक की तर्ज पर दोषियों को जेल भेजा जाना चाहिए.