scorecardresearch
 

टैक्‍सी परमिट मामले पर पलटे चव्‍हाण

महाराष्‍ट्र में टैक्‍सी के नए परमिट देने के लिए बुधवार को राज्‍य सरकार ने जो नियम निर्धारित किए थे अब वो उससे पलट गई है. मुख्‍यमंत्री ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा है कि स्‍थानीय भाषा का मतलब केवल मराठी नहीं है बल्कि हिंदी और गुजराती भी स्‍थानीय भाषाएं हैं.

Advertisement
X

महाराष्ट्र सरकार के केवल मराठी भाषा जानने वालों को टैक्सी चलाने का परमिट दिए जाने के फैसले के चलते चहुं ओर से कटु आलोचना का सामना कर रहे मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने गुरुवार को अपनी बात से पलटते हुए कहा कि टैक्सी चालकों को हिन्दी और गुजराती सहित किसी भी स्थानीय भाषा का ज्ञान होना चाहिए.

राज ठाकरे की तरह का कदम उठाते हुए बुधवार को कांग्रेस-राकंपा गठबंधन की सरकार ने फैसला किया था कि टैक्सी चलाने के लिए नये लाइसेंस केवल उन्हीं लोगों को प्रदान किए जायेंगे जिन्हें अच्छी तरह से मराठी भाषा में बातचीत करनी आती हो और जो महाराष्ट्र में पिछले 15 सालों से रह रहे हों. हालांकि सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसे मौजूदा टैक्सी ड्राइवर जिनके पास वैध लाइसेंस है, इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे. चव्हाण ने कहा कि उनकी सरकार ने यह फैसला 1989 के महाराष्ट्र मोटर वाहन नियम के तहत किया है.

उक्त कानून में यह उल्लेख किया गया है कि टैक्सी चलाने के लिए उन्हीं लोगों को परमिट दिया जायेगा जो पिछले 15 सालों से महाराष्ट्र में रह रहे हों. इस नियम के अनुच्छेद नंबर दो में कहा गया है कि टैक्सी चालकों के पास बिल्ला होना चाहिए और उसे स्थानीय भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य है. स्थानीय भाषा मराठी, हिन्दी, गुजराती कुछ भी हो सकती है लेकिन इसका ज्ञान होना अनिवार्य है.

उन्होंने कहा कि टैक्सी ड्राईवर परमिट तभी प्राप्त कर सकते हैं जब उन्हें स्थानीय भाषा मराठी और गुजराती में बात करनी आती हो. शहर की सबसे पुरानी बाम्बे टैक्सीमैन्स एसोसिएशन ने इस फैसले का घोर विरोध किया है. इस संघ के सचिव ए एल क्वाडरोस ने कहा कि यह हमें मंजूर नहीं है और यह फैसला राजनीत से प्रेरित होकर लिया गया है. मुम्बई में दो लाख से अधिक टैक्सी चालक हैं जिनमें अधिकतर उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखण्ड के रहने वाले हैं. हरेक वर्ष 4,000 नये टैक्सी परमिट प्रदान किए जाते हैं.

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र नव निर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने पिछले साल गैर मराठी भाषी लोगों के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी जिसके कारण वह काफी विवाद में आ गये थे. समझा जाता है कि सरकार ने यह फैसला स्थानीय निकाय के चुनाव से पहले मराठी युवा पीढ़ी को लुभाने और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना का मुकाबला करने के लिए किया है. राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद ने इस फैसले को असंवैधानिक बताया है और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस फैसले को बदला जाए. हालांकि कांग्रेस ने इस विवाद से पल्लू झाड़ने की कोशिश की है और कहा है कि यह फैसला केवल महाराष्ट्र मोटर वाहन नियम के तहत किया गया है.

Advertisement
Advertisement