विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके एस एम कृष्णा ने शनिवार को कहा कि उनके लिए यह समय युवाओं को मौका देने का है. प्रतीत होता है कि कृष्णा ने कर्नाटक की राजनीति में भूमिका निभाने का विकल्प खुला रखा है.
सरकार से हटने के एक दिन बाद कृष्णा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और फिर संवाददाताओं से कहा, ‘इन दिनों जो हालात हैं, उसके अनुसार युवाओं को पूरी तरह जिम्मेदारी लेनी चाहिए और मुझे लगता है कि मेरे लिये यही समय उचित है जब मैं युवाओं के लिए रास्ता बनाउं. मुझे खुशी है कि यह पहल की गई और इसकी सराहना भी हुई.’
पूर्व विदेश मंत्री से पूछा गया कि क्या उनसे प्रधानमंत्री ने इस्तीफे के लिए कहा था या उन्होंने खुद ही पद छोड़ा. इस पर कृष्णा ने कहा, ‘फैसला तो अंदर से हुआ. इसमें मेरी पत्नी की भी बड़ी भूमिका रही.’ उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं के लिए रास्ता बनाने का उनका फैसला अनुभव के महत्व को नहीं कम करता.
कृष्णा ने कहा, ‘अनुभव के महत्व को घटाने वाली कोई बात नहीं है. मुझे लगता है कि अनुभव महत्व रखता है. खास कर दूसरे देशों के साथ विदेशी संबंधों को आगे बढ़ाने में, जहां कि अभूतपूर्व धर्य और दृढ़ता की जरूरत होती है.’ उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से युवाओं को आगे आना चाहिए. आगे बढ़ने के उनके प्रयासों में साथ देने के लिए हम लोग मौजूद हैं.’
यह पूछे जाने पर कि विदेश मंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल संक्षिप्त था, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका कार्यकाल ‘एक सम्मानजनक अवधि’ के लिए था.