वर्ष 2006 के मालेगांव विस्फोट कांड में नौ आरोपियों को अदालत से जमानत मिली गयी क्योंकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जमानत पर रिहा करने की उनकी मांग का विरोध नहीं किया.
विशेष मकोका अदालत के न्यायाधीश वाई डी शिंदे ने उन्हें 50-50 हजार के मुचलके पर जमानत दी. अदालत ने आरोपियों को सप्ताह में एक बार स्थानीय पुलिस को रिपोर्ट करने का भी आदेश दिया. जिन आरोपियों को जमानत मिली हैं उनमें सलमान फारसी, शबीर अहमद, नुरूलहुदा दोहा, रइस अहमद, मोहम्मद अली, आसिफ खान, जावेद शेख, फारूग अंसारी और अबरार अहमद शामिल हैं.
बचाव पक्ष के वकील जलील अंसारी ने बताया कि आसिफ खान और मोहम्मद अली को रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि ये दोनों 2006 के मुम्बई ट्रेन श्रंखलाबद्ध विस्फोट मामले में भी पकड़े गए हैं. शेष को औपचारिकताएं पूरी होने के बाद आठ नवंबर को रिहा कर दिया जाएगा. एनआईए ने तर्क दिया कि मक्का मस्जिद बम विस्फोट मामले में गिरफ्तार स्वामी असीमानंद के खुलासे के बाद उसने ताजे साक्ष्यों के अलावा पूर्व की जांच एजेंसियों एटीएस और सीबीआई द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों की समीक्षा की थी.
एनआई ने कहा, ‘तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर काफी सोच विचार के बाद सभी नौ आरोपियों के जमानत आवेदनों का विरोध नहीं करने का फैसला किया गया जिन्हें पूर्व में गिरफ्तार किया गया था और आरोपी बनाया गया था.’ हालांकि जांच एजेंसी ने कहा, ‘एनआईए जमानत याचिका में आरोपियों के किसी दलील को स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि यह पूर्व की जांच एजेंसियों द्वारा दाखिल आरोप-पत्र से संबंधित हैं.’
एनआईए ने कहा कि जांच अधिकारी ने उच्च अधिकारी के सामने सबूतों के रूप में नए निष्कषरें और परिस्थितियों को प्रस्तुत किया था ताकि यह निर्णय किया जा सके कि अदालत में आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध किया जाना चाहिए या नहीं. इसके अलावा निश्चित निष्कर्ष तक पहुंचने की खातिर और ज्यादा सबूतों को जमा करने के लिए आगे की जांच जारी है.
गौरतलब है कि स्वामी असीमानंद द्वारा विस्फोट मामले में दक्षिणपंथी समूहों का हाथ होने संबंधी स्वीकारोक्ति के बाद सभी नौ आरोपियों ने जमानत की मांग की थी. असीमानंद को साल 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया गया है. अपनी जमानत याचिका में आरोपियों ने कहा, ‘इस स्वीकारोक्ति से साफ होता है कि मालेगांव विस्फोट के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं वे वर्तमान के आरोपियों से अलग हैं.’