scorecardresearch
 

दार्जिलिंग मुद्दे के समाधान के लिये जीजेएम ने हस्ताक्षर किया

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग से किनारा कर लिया है और नये पर्वतीय परिषद् पर सहमत हो गया है जिसे ज्यादा स्वायत्ता हासिल होगी.

Advertisement
X
ममता बनर्जी
ममता बनर्जी

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग से किनारा कर लिया है और नये पर्वतीय परिषद् पर सहमत हो गया है जिसे ज्यादा स्वायत्ता हासिल होगी.

Advertisement

जीजेएम ने पश्चिम बंगाल सरकार के साथ द्विपक्षीय समझौता किया जिससे लगता है कि दार्जिलिंग में 15 महीने से चल रहा आंदोलन खत्म हो जाएगा. जीजेएम के साथ दो दिवसीय अधिकारी स्तर की वार्ता की समाप्ति पर रायटर्स बिल्डिंग में ममता बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक दिन है. लंबे समय से चल रहे दार्जिलिंग मुद्दे का समाधान हो गया है. मैंने केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम को सूचित कर दिया है.’

समझौता के लिये ‘जादुई फार्मूला’ के बारे में पूछने पर बनर्जी ने कहा, ‘यह मेरी दिली इच्छा है और मेरे इरादे शुभ हैं. इस समझौते पर पहुंचने का जादुई फार्मूला विकास है.’ उन्होंने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव समर घोष से केंद्र से वार्ता करने को कहा है ताकि दार्जिलिंग को लेकर समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके ‘जहां मैं उपस्थित रहूंगी.’

Advertisement

यह पूछने पर कि क्या दार्जिलिंग को वित्तीय पैकेज दिया जाएगा तो उन्होंने कहा, ‘क्या मैं बिना उपहार के किसी विवाह समारोह में जा सकती हूं. हम दार्जिलिंग के लोगों को प्यार करते हैं.’ घोष ने संवाददाताओं से कहा कि द्विपक्षीय समझौते पर जीजेएम के महासचिव रोशन गिरी और गृह सचिव जी. डी. गौतम ने हस्ताक्षर किये. उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद् के बदले नये पर्वतीय परिषद् के गठन पर सर्वसम्मति बनी है जिसके पास पूर्ण प्रशासनिक, वित्तीय एवं कार्यकारी अधिकार होंगे और इसे ज्यादा स्वायत्ता मिलेगी. बहरहाल घोष ने स्वायत्ता के बारे में विस्तार से बताने से इनकार कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘नयी पर्वतीय परिषद् के गठन के लिये सर्वसम्मति बनी है. यह चुनाव के जरिये होगा. इसके लिये नये कानून की जरूरत होगी और इस संबंध में जल्द ही काम शुरू किया जाएगा. विधानसभा के अगले सत्र में आवश्यक संशोधन की आवश्यकता है.’

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रशासकों के बोर्ड में दो से तीन सदस्य होंगे. इसके अलावा इसमें दार्जिलिंग के जिलाधिकारी भी होंगे. प्रस्तावित परिषद् में दोआर एवं तराई इलाके के गोरखा बहुल इलाकों को शामिल करने की जीजेएम की मांग के बारे में घोष ने कहा कि दो हफ्ते के अंदर नौ सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन होगा जिसमें जीजेएम और राज्य सरकार की ओर से चार-चार सदस्य होंगे जबकि एक अध्यक्ष होगा. समिति छह महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपेगी.

Advertisement

समिति भौगालिक स्थानों और विवादित क्षेत्र की वर्तमान स्थिति को देखेगी. डीजीएचसी के अस्थायी कर्मचारियों के बारे में पूछने पर घोष ने कहा कि उन्हें 60 वर्ष की उम्र तक काम करने की अनुमति होगी. कर्मचारियों ने दस वर्ष की सेवा पूरी कर ली है.

उन्होंने कहा, ‘उन्हें सेवानिवृत्ति के लाभ दिये जाएंगे और जिन लोगों ने दस वर्ष पूरे नहीं किये हैं, वे कार्यकाल पूरा करने के बाद लाभों के हकदार होंगे.’ डीजीएचसी के नियमित एवं अनियमित कर्मचारियों की संख्या 6000 है. चाय बगानों को देखने वाले ‘ताउजी’ के बारे में घोष ने कहा कि टी बोर्ड के सदस्यों, वाणिज्य मंत्रालय एवं जीजेएम के प्रतिनिधियों के साथ एक समिति बनाने की सहमति पर निर्णय हो गया है.

इस बात पर भी सहमति बनी कि नयी परिषद् को मिलने वाले विभिन्न विभागों के लिये वह नीतियां बना सकेगी. एक सवाल के जवाब में घोष ने कहा कि जीजेएम ने मांग की कि नयी पर्वतीय परिषद् का सुरक्षित वनों पर नियंत्रण हो. उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह केंद्र सरकार की सहमति के बगैर संभव नहीं है क्योंकि वन कानून केंद्रीय कानून है.’

बाद में जीजेएम के महासचिव गिरी ने संवाददाताओं से कहा कि बैठक में ‘ताउजी’ के स्थानांतरण और दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद् के अस्थायी कर्मचारियों की समस्या का समाधान हो गया. गोरखालैंड के लिये जीजेएम की मूल मांग के बारे में पूछने पर गिरी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

Advertisement
Advertisement