न्यायपालिका पर टिप्पणी के बाद चौतरफा आलोचनाओं से घिरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि वह अपने भाषण में सुधारों के विषय में बात कर रही थीं.
राज्य सचिवालय में पत्रकारों से ममता ने कहा कि विधानसभा में मेरा भाषण रिकार्ड है. आप उसकी प्रति ले सकते हैं. मैंने चुनाव सुधार, न्यायिक सुधार और प्रशासनिक सुधार के विषय में चर्चा की थी. यदि हमारे देश में कमियों के विषय में वार्ता करना अपराध है, तो मैं इसे हजारों बार करने के लिए तैयार हूं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने महत्वहीन न्यायपालिका के विषय में बात की. मैंने किसी भी न्यायाधीश या अधिवक्ता को भ्रष्ट नहीं कहा. सभी क्षेत्रों में अच्छे एवं बुरे लोग होते हैं. मैंने विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यों की कमी पर बात की. इसमें क्या हानि है?
ममता ने कहा कि उन्होंने अपने भाषण में न केवल न्यायपालिका बल्कि प्रशासनिक एवं राजनीति में भी मूल्यों की कमी की चर्चा की. ममता ने न्यायिक आयोगों पर दिए गए बयान का बचाव करते हुए कहा कि यहां कई आयोग हैं और प्रतिदिन उच्च अधिकारियों को बुलाया जाता है. वे उनके (आयोगों) प्रश्नों के जवाब देने में समय व्यतीत करते हैं. प्रशासन का काम कैसे चलेगा यदि ये अधिकारी आयोगों के समक्ष उपस्थित होते रहेंगे.
कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा अवमानना की याचिका स्वीकार करने पर ममता ने कहा कि वह प्रसन्न हैं और न्यायालय के निर्णय का सम्मान करेंगी. उन्होंने कहा कि मैं बेहद खुश हैं कि आप लोगों ने मेरे खिलाफ याचिका दायर की है. न्यायालय का निर्णय जो भी हो मैं स्वीकार करुंगी. ममता ने विधानसभा के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में न्यायपालिका के एक वर्ग में भ्रष्टाचार व्याप्त होने की बात कही थी.