अपनी आलोचनाओं से अविचलित तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी शीर्ष माओवादी नेता आजाद की मौत के बारे में अपने रुख पर कायम रहीं, वहीं उन्होंने नक्सली नेता किशनजी की संघर्ष विराम की पेशकश का स्वागत करते हुए कहा कि सभी समस्याएं बातचीत के जरिये सुलझायी जानी चाहिये.
दिल्ली रवाना होने से पहले रेल मंत्री ममता ने संवाददाताओं से कहा कि किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में हम सौहाद्र्रपूर्ण और शांतिपूर्ण हल के पक्ष में हैं. मैंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किये गये भाषण सुने हैं. उन्होंने भी इसी तरह की बात कही है.
उन्होंने किशनजी के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उसने तीन माह के संघर्ष विराम का आह्वान किया है और कहा है कि अगर ममता मध्यस्थता करें तो माओवादियों को कोई समस्या नहीं है.
रेलमंत्री ने कहा कि सरकार को यह फैसला करना है. मैंने सिर्फ किशनजी के बयान पर मीडिया रिपोर्ट देखी है, मुझे विवरण देख लेने दें.
वरिष्ठ माओवादी नेता आजाद की हत्या के बारे में लालगढ़ में नौ अगस्त को आयोजित रैली में दिये गये अपने बयान के बारे में ममता ने कहा कि लालगढ़ में मैंने जो कुछ कहा, उस पर टिकी हूं. मैंने अपनी राजनीतिक क्षमताओं के तहत वह बयान दिया था.