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मध्यप्रदेश के वन मंत्री को हटाया जाए: मेनका गांधी

मध्यप्रदेश में वन क्षेत्रों में जंगली सुअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति देने के लिये नियमों में संशोधन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने प्रदेश के वन मंत्री सरताज सिंह को मंत्रिमंडल से निकाले जाने की मांग की है.

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मध्यप्रदेश
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मध्यप्रदेश में वन क्षेत्रों में जंगली सुअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति देने के लिये नियमों में संशोधन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने प्रदेश के वन मंत्री सरताज सिंह को मंत्रिमंडल से निकाले जाने की मांग की है.

प्रदेश में फसलों को नष्ट किये जाने को लेकर नील गाय तथा जंगली सुअर के शिकार के लिये नियमों में संशोधन का प्रस्ताव वन विभाग ने सरकार के पास भेजा है.

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और जानवरों के अधिकारों को लेकर कार्य करने वाली मेनका गांधी ने राज्य सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए वन मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से निकाले जाने की मांग की है.

मेनका गांधी ने  कहा कि वे इस मामले को भाजपा आलाकमान के सामने भी उठायेंगी.

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मेनका गांधी का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा यह फैसला किसानों के हित में नहीं लिया गया है बल्कि इस फैसले का फायदा वे निजी फारेस्ट लाज ऑपरेटर उठायेंगे जिनके ग्राहक मिडिल ईस्ट तथा अन्य देशों में फैले हुए हैं. उन्होंने कहा कि वन मंत्री द्वारा इन्हीं टूर ऑपरेटरों के दबाव में यह फैसला किया गया है.

मेनका गांधी ने कहा कि देश में वन्य जीवों की संख्या पहले ही कम हो रही है तथा एमपी सरकार के इस फैसले से उनकी संख्या में और कमी ही आयेगी. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी जंगली सुअर को नहीं देखा है और ऐसे में यह कहकर उनके शिकार की अनुमति दिये जाने का कोई औचित्य नहीं है कि उनकी संख्या में वृद्धि हो रही है और वे फसल नष्ट करने के दोषी हैं. उन्होंने कहा कि जब एक शिकारी को शिकार के लिये वन में जाने की अनुमति दे दी जायेगी तो वन में रहने वाले अन्य जानवरों की क्या गोलियों की आवाजों के बीच शांति भंग नहीं हो जायेगी और क्या अन्य जानवर सुरक्षित रह पायेंगे.

मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले से नाराज मेनका गांधी ने यह सवाल भी उठाया कि वन में रहने वाले जानवर क्या शिकारियों की कार्यवाही से गांव एवं शहरी क्षेत्रों की ओर रुख नहीं करने लगेंगे तथा इस बात की क्या गारंटी है कि नील गाय और जंगली सुअरों के शिकार के दौरान गलती से किसी हाथी या अन्य जानवर की गोली लगने से मृत्यु नहीं होगी.

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इस बीच वन मंत्री सरताज सिंह का कहना है कि मध्यप्रदेश में पिछले 12 सालों से इन जानवरों के शिकार पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन कड़े नियमों और प्रावधानों के चलते लोग इन जानवरों का शिकार नहीं कर पाते किसानों की काफी फसल नष्ट होती है.

वन मंत्री ने कहा कि हमने इस संबंध में कानून मंत्रालय को जंगली सुअर और नील गाय के शिकार के नियमों के सरलीकरण का प्रस्ताव भेजा है और यदि प्रस्ताव को अनुमति मिल जाती है तो ही उस पर अमल किया जायेगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों और जनप्रतिनिधियों ने इन जानवरों द्वारा फसलों का नुकसान किए जाने का मामला उठाते हुए सरकार से इस संबंध में कदम उठाने की मांग की थी.

मध्यप्रदेश के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आर. के. दवे ने कहा कि प्रदेश में फसलों को हो रहे नुकसान को देखते हुए अनुविभागीय दंडाधिकारी के आदेश से जंगली सुअर और नीलगाय को मारने का अधिकार वर्ष 2000 से दिया गया है. दवे ने कहा कि इस मामले में नियम इतने कड़े हैं कि आज तक कोई भी इन जानवरों को मारने की अनुमति नहीं ले पाया है तथा इसको देखते हुए यह महसूस किया गया कि नियमों का सरलीकरण किया जाये और इस संबंध में प्रस्ताव राज्य सरकार के समक्ष विचाराधीन है.

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