मैंगलोर में इस साल मई में हुई विमान दुर्घटना में एयर इंडियन एक्सप्रेस के फ्लाइट कमांडर ने विमान को नहीं उतारने के संबंध में सह पायलट की चेतावनी की अनदेखी की थी. यह बात मंगलवार को एक जांच समिति ने कही.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में समिति ने कहा कि फ्लाइट कमांडर कैप्टन ज्लाटको ग्लूसिका ने सह पायलट कैप्टन एच एस अहलूवालिया की चक्कर लगाने और विमान को नीचे नहीं उतारने के संबंध में चेतावनी पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया.
दो साल पुराना विमान कर्नाटक में मैंगलोर हवाई अड्डे के बाहर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 158 लोग मारे गए थे. पायलट ने समय पर उड़ान नहीं भरी थी और विमान हवाई अड्डे के दूसरी तरफ गहरी खाई में गिरने से पहले टेबल-टॉप रनवे की चहारदीवारी से जा टकराया था.
दुर्घटनाग्रस्त हुए बोइंग 737 विमान के कॉकपिट वॉइस रिकार्डर (सीवीआर) से हासिल किए गए आंकड़ों में दिखाया गया है कि कैप्टन गलत उड़ान मार्ग पर था और सह-पायलट द्वारा चक्कर लगाने का अनुरोध किए जाने के बावजूद सुधार के उपाय करने में उसने विलंब किया.
सीवीआर की 2.05 मिनट की रिकार्डिंग से संकेत मिला है कि विमान के कंप्यूटर से कैप्टन को विमान को ऊपर ले जाने के बारे में चेतावनी दी गई लेकिन उसने उसपर ध्यान नहीं दिया. सह पायलट ने भी उससे चक्कर लगाने को कहा लेकिन उसने इसकी भी अनदेखी की.
अंतिम कुछ सेकंड की रिकार्डिंग में कहा गया है, ‘हमारे पास रनवे नहीं बचा है.’ उसके बाद सीवीआर में जोरदार दुर्घटना की आवाज सुनाई पड़ी. कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के समक्ष गवाही देते हुए बोइंग अधिकारियों ने कहा था कि पायलट मंगलूर हवाई अड्डे पर पहुंचने के दौरान सही मार्ग पर नहीं था.
अधिकारियों ने कहा कि उसने लैंडिंग के वक्त तीन डिग्री से अधिक के कोण से प्रयास किया जो मानक प्रक्रिया है. उन्होंने सुधारात्मक उपाय में भी कैप्टन के मार्ग में कुछ असंगतियां पाईं. इससे दुर्घटना टल सकती थी.