स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधितक करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए एक मजबूत लोकपाल का वायदा करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया कि केंद्र और राज्य सरकारों के कुछ लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं.
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उन्होंने 16 अगस्त से शुरू हो रहे अन्ना हजारे के अनशन का सीधा उल्लेख किये बिना कहा कि लोगों को अपनी ही बात मनवाने के लिए भूख हड़ताल और अनशन का सहारा नहीं लेना चाहिए.
देश के 65वें स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लालकिला की प्राचीर से लगातार आठवें साल राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘हम चाहते हैं कि सभी राजनीति दल कंधे से कंधा मिलाकर इस लड़ाई में शामिल हों.’
वीडियो: पीएम ने कहा, भ्रष्टाचार के खिलाफ जादू की छड़ी नहीं
उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए हमने संसद में विधेयक पेश किया है, और कई अन्य विधेयक पेश किये जायेंगे. मुझे उम्मीद है कि सभी राजनीतिक दल इन विधेयकों को मूर्त रूप देने की प्रक्रिया में सहयोग करेंगे.’
प्रधानमंत्री ने हालांकि अन्ना हजारे के अनशन से सरकार की असहमति जताते हुए कहा, ‘मैं जानता हूं कि विधेयक के कुछ पहलुओं पर मतभेद हैं, जो लोग विधेयक से सहमत नहीं हैं वे अपने विचार संसद, राजनीतिक दलों और मीडिया तक को दे सकते हैं. हालांकि मेरा विश्वास है कि उन्हें भूख हड़ताल और अनशन जैसे कदम नहीं उठाने चाहिए.’
मनमोहन ने कहा, ‘भ्रष्टाचार पर मैं इतना अधिक इसलिए बोला क्योंकि मैं जानता हूं कि यह समस्या हम सबको गहराई तक परेशान कर रही है, हालांकि यह एक ऐसी परेशानी है जिसे दूर करने के लिए किसी सरकार के पास ‘जादू की छड़ी’ नहीं है.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जरूरी है कि भ्रष्टाचार के मुद्दों पर विचार करते समय हम ऐसा माहौल पैदा नहीं करें जिससे देश की प्रगति पर सवाल खड़ा हो. इन मुद्दों पर किसी भी चर्चा में यह विश्वास झलकना चाहिए कि हम इन चुनौतियों से उबर सकते हैं.
उन्होंने स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार कई शक्लों में सिर उठा रहा है. कई मामलों में आम आदमी की कल्याण योजनाओं के लिए आवंटित धन सरकारी अधिकारियों की जेब में चला जाता है, कुछ अन्य मामलों में सरकार के विवेकाधिकार का कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए इस्तेमाल हो जाता है.
सिंह ने कहा कि हम ऐसी गतिविधियों को जारी रहने नहीं दे सकते. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मेरा मानना है कि कोई एक ऐसा बड़ा कदम नहीं है जिससे भ्रष्टाचार समाप्त किया जा सके. वास्तव में, हमें कई मोर्चों पर एक साथ कार्य करना होगा.’ उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें न्याय प्रणाली में सुधार लाना होगा. हर किसी को यह मालूम होना चाहिए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होगी और दंड मिलेगा. अगर हमारी न्यायिक प्रणाली प्रभावकारी होगी तो सरकारी अधिकारी लालच या राजनीतिक दबाव में कोई गलत काम करने से पहले दो बार सोचेंगे.
न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने के अन्ना हजारे पक्ष की मांग से असहमति जताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा किया जाना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि ऐसा करना न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ होगा. उन्होंने कहा, ‘हमें एक ऐसे ढांचे की जरूरत है जिसमें न्यायपालिका जवाबदेह बने. इसी उद्देश्य के तहत हमने न्यायिक जवाबदेही विधेयक पेश किया है. मुझे विश्वास है कि यह विधेयक जल्द ही पारित हो जायेगा.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुम्बई में हुए हाल में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने हमें चेताया है कि आतंकवाद के खिलाफ सतर्कता में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘पिछले महीने मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले ने हमें चेताया है कि जहां तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का प्रश्न है, हमारी सतर्कता और निगरानी में कोई कमी नहीं आनी चाहिए. यह एक लम्बी लड़ाई है जिसें केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और आम आदमी को मिलकर लड़ना है.’ सिंह ने कहा कि सरकार अपनी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को लगातार मजबूत बना रही है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेंगे.
देश में बढ़ती महंगाई का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘देश सतत उच्च मुद्रास्फिति के दौर से गुजर रहा है. महंगाई को नियंत्रित करने की मुख्य जिम्मेदारी सरकार की होती है.’ उन्होंने पेट्रोलियम उत्पादों, खाद्यान्नों और खाद्य तेलों के अंतरराष्ट्रीय मूल्य में उछाल को महंगाई का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि सरकार देश में महंगाई कम करने का सतत प्रयास कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘कभी हम महंगाई को नियंत्रित करने में सफल भी हुए लेकिन यह सफलता स्थायी साबित नहीं हुई. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आने वाले महीनों में इस समस्या का समाधान निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी.’ पिछले दिनों देश के कई हिस्सों में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों के गुस्से के फूटने के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं इस बारे में पूरी तरह से सजग हूं कि उद्योग, ढांचागत परियोजनाओं और शहरीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर देश के कुछ क्षेत्रों मे तनाव हैं. हमारे किसान खासतौर से ऐसे अधिग्रहण से प्रभावित हैं.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक हित की परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण जरूरी है लेकिन ऐसा पारदर्शी और उचित तरीके से किया जाना चाहिए. उन लोगों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए जो आजीविका के लिए उस भूमि पर निर्भर हैं जिसे अधिग्रहित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होने पाए. इस दिशा में 117 साल पुराने भूमि अधिग्रहण कानून की जगह नया विधेयक लाने के बारे में उन्होंने कहा कि इसे शीघ्र ही संसद में पेश किया जायेगा. सिंह ने कहा कि महिलाओं और बच्चों में कुपोषण हम सब के लिए चिंता की बात है.
उन्होंने बेहतर समन्वित बाल विकास सेवा योजना अगले छह महीने के भीतर लागू करने का वायदा किया और कहा कि इससे बच्चों में कुषोषण की समस्या से प्रभावकारी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी. लिंग अनुपात में बढ़ती खाई पर खेद प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली जनगणना की तुलना में 2011 की जनगणना में इस खाई का और बढ़ना चिंता की बात है.
उन्होंने कहा कि इस विषमता से निपटने के लिए न केवल वर्तमान कानूनों को प्रभावकारी ढंग से लागू किये जाने की जरूरत है बल्कि बच्चियों और महिलाओं के बारे में समाज के दृष्टिकोण को भी बदले जाने की आवश्यकता है. इसके लिए उन्होंने सभी राज्य सरकारों और समाज सेवा संगठनों से अपील की कि वे समाज में महिलाओं के सशक्ती करण के लिए और प्रभावकारी कदम उठायें.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी स्तरों पर शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देने के वास्ते नया शिक्षा आयोग स्थापित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया को चुस्त दुरूस्त बनाने के लिए हम पर्यावरण आकलन एवं निगरानी प्राधिकार का गठन करेंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक हित की परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण जरूरी है लेकिन ऐसा पारदर्शी और उचित तरीके से किया जाना चाहिए. उन लोगों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए जो आजीविका के लिए उस भूमि पर निर्भर हैं जिसे अधिग्रहित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होने पाए. इस दिशा में 117 साल पुराने भूमि अधिग्रहण कानून की जगह नया विधेयक लाने के बारे में उन्होंने कहा कि इसे शीघ्र ही संसद में पेश किया जायेगा. सिंह ने कहा कि महिलाओं और बच्चों में कुपोषण हम सब के लिए चिंता की बात है. उन्होंने बेहतर समन्वित बाल विकास सेवा योजना अगले छह महीने के भीतर लागू करने का वायदा किया और कहा कि इससे बच्चों में कुषोषण की समस्या से प्रभावकारी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी.
लिंग अनुपात में बढ़ती खाई पर खेद प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली जनगणना की तुलना में 2011 की जनगणना में इस खाई का और बढ़ना चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि इस विषमता से निपटने के लिए न केवल वर्तमान कानूनों को प्रभावकारी ढंग से लागू किये जाने की जरूरत है बल्कि बच्चियों और महिलाओं के बारे में समाज के दृष्टिकोण को भी बदले जाने की आवश्यकता है. इसके लिए उन्होंने सभी राज्य सरकारों और समाज सेवा संगठनों से अपील की कि वे समाज में महिलाओं के सशक्ती करण के लिए और प्रभावकारी कदम उठायें.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी स्तरों पर शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देने के वास्ते नया शिक्षा आयोग स्थापित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया को चुस्त दुरूस्त बनाने के लिए हम पर्यावरण आकलन एवं निगरानी प्राधिकार का गठन करेंगे.
नक्सलवाद से निपटने के प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस दिशा में हम हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि नक्सलवाद को जन्म देने वाले कारणों को खत्म कर दिया जाए. इस दिशा में आदिवासी बहुल जनसंख्या वाले जिलों में तेज विकास के लिए नई योजनाएं शुरू की गई हैं. इस योजना पर दो साल की अवधि में 3,300 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जायेगी.’
सिंह ने कहा कि तेज आर्थिक प्रगति के कारण हमारा देश और समाज तेजी से बदल रहा है. हमारे नौजवानों में कुछ नया कर दिखाने का जज्बा है, हमें ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिससे लोगों की शक्ति और उत्साह का उपयोग राष्ट्र निर्माण में हो सके. उन्होंने कहा, ‘हमारी संस्थाएं ऐसी होनी चाहिए जो जनता की क्षमताओं का सकारात्मक इस्तेमाल की सके. हमारे कारोबारियों और उद्यमियों के कामों में बेवजह अड़चन नहीं आनी चाहिए. हमें ऐसी राजनीति से दूर रहना चाहिए जिससे उद्योग, कारोबार और निवेश से जुड़े लोगों के मन में कोई डर या शक पैदा नहीं हो.’
सिंह ने कहा कि हम अपने विशाल और विविधतापूर्ण देश को तेज विकास के जरिये बदलना चाहते हैं ताकि हमारे हर एक नागरिक को फायदा पहुंचे. उन्होंने कहा, ‘इस बदलाव के सिलसिले में कभी कभी तनाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है. एक लोकतंत्र में इस तरह के तनाव राजनैतिक मतभेद के मुद्दे भी बन जाते हैं. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि राजनैतिक वाद विवाद और एक दूसरे का विरोध करने के दौरान भी हमारे देश की प्रगति की रफ्तार पर असर न पड़े.’