कश्मीर घाटी में अशांति से निपटने में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नयी पहल को राजनीतिक दलों ने अच्छी मंशा वाला करार दिया लेकिन भाजपा और अलगाववादियों को इस बात को लेकर शंका है कि ये वहां के लोगों की चिंताओं का समाधान कर पायेंगे.
भाजपा ने सिंह की शांति की पहल घोषणा को महज एक दिन का मूल्य वाला बताया जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी पीडीपी ने भरोसा जताया कि इसे तार्किक अंजाम तक पहुंचाया जा सकेगा ताकि घाटी में स्थायी शांति बहाल हो.
पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भाषण का स्वागत किया और कहा कि कार्रवाई करने में उन्हें लंबा समय लग गया. अलगाववादी हुर्रियत नेताओं ने सिंह के संदेश को खारिज कर दिया और कहा कि यह पुरानी नीतियों का राग और इसमें कुछ भी नया नहीं है.
कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है. उदारवादी हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि प्रधानमंत्री की मंशा जायज है लेकिन कश्मीर के संबंध में भारत बंदूक से बात करता है. भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण का कोई प्रभाव होगा इसे लेकर उन्हें गंभीर संदेह है.
नेशनल कांफ्रेंस के महमूद बेग ने कहा कि यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री ने घाटी के लोगों को अलग थलग करने वाले पहलू का उल्लेख किया है.
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि वह इस बात से सहमत नहीं है कि दो महीने से घाटी में चल रही अशांति के बारे में जवाब देने में प्रधानमंत्री ने लंबा समय लिया.