रामलीला मैदान में मध्यरात्रि में पुलिस कार्रवाई, बाबा रामदेव की गिरफ्तारी और लोगों पर लाठीचार्ज की तुलना जलियांवाला बाग कांड और आपातकाल से करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगने की मांग करते हुए राष्ट्रपति से संसद का आपाकालीन सत्र बुलाने का आग्रह किया.
आडवाणी ने संवादददताओं से कहा, ‘रामलीला मैदान में पुलिस की कार्रवाई से आपातकाल की याद ताजा हो गई है जब कांग्रेस की सरकार ने बर्बरतापूर्वक लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन किया था.’
पुलिस कार्रवाई की तुलना जलियांवाला बाग कांड से करते हुए उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार और कालाधन का मुद्दा उठाने वाले रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ ऐसी बर्बर कार्रवाई निंदनीय है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस घटना के लिए न केवल बाबा रामदेव बल्कि पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘मेरी एक मांग यह भी है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल पिछले कम से कम छह महीने की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए संसद का आपालकालीन सत्र बुलाये ताकि भ्रष्टाचार और कालाधन जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सके.’
आडवाणी ने कहा, ‘रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे लोगों पर जिस प्रकार की कार्रवाई की गई, वह ‘नंगा फासीवाद’ है. बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया और निर्मम तरीके से पीटा गया.’ उन्होंने कहा कि 1975 में आपातकाल के दौरान भी ‘बेसब्र’ सरकार ने राजनीतिज्ञों समेत आम लोगों के खिलाफ इसी प्रकार की बर्बर कार्रवाई की थी.
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. जब बाबा रामदेव से वार्ता चल रही हो, उस समय अचानक इस प्रकार की कार्रवाई सरकार की हताशा को प्रदर्शित करती है. यह सही सुझाव देने वालों को कुचलने की सरकार की मंशा को प्रदर्शित करता है.’
कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान विभिन्न घोटालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार पर सरकार का रूख लोगों के सामने स्पष्ट है. संसद का शीतकालीन सत्र सरकार की हठ की भेंट चढ़ गया था, विपक्ष 2 जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेल और आदर्श हाउसिंग घोटाला मामलों की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग कर रहा था.’
उन्होंने कहा कि भाजपा तब भी सभी घोटालों की जेपीसी जांच की मांग कर रही थी और अब भी इसपर कायम है.