प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को सरकारी लेखापरीक्षक कैग से कहा कि उसे जानबूझ कर की गयी गड़बड़ी और भूलवश हुई गलती के बीच फर्क करना चाहिये और आधिकारिक फैसलों के पीछे के संदर्भ और परिस्थितियों को समझना चाहिये.
प्रधानमंत्री की कैग को यह नसीहत ऐसे दिन सामने आई है जब कि मंगलवार को ही संसद में पेश एक रपट में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में पूर्व दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए राजा को गड़बड़ी करने का दोषी करार दिया गया हैं.
रपट में कहा गया है कि राजा के नेतृत्व में दूरसंचार विभाग के मनमाने निर्णयों से सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपए से अधिक की संभावित आय का नुकसान हुआ है. मनमोहन ने कहा कि कैग पर भारी जिम्मेदारी है इसलिये उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि उसकी रिपोर्ट सटीक, संतुलित और समुचित होनी चाहिये. ‘इसके लिये उच्चस्तर की पेशेवर कुशलता और क्षमता जरूरी है.’ {mospagebreak}
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की स्थापना के 150वीं वषर्गांठ पर आयोजित समारोह में मनमोहन ने कहा कि कैग की रिपोर्ट को मीडिया, जनता और संसद में काफी गंभीरता से लिया जाता है, इसलिये संस्थान के उपर भारी जिम्मेदारी है कि रिपोर्ट सटीक और संतुलित हो.
मनमोहन ने कहा ऐसा समझा जाता है कि छोटी छोटी बातों और व्यक्तिगत लेनदेन पर आधारित लेखापरीक्षा के बजाय बडी बडी परियोजनाओं की लेखापरीक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाये तो इसका ज्यादा फायदा मिल सकता है.
पिछले 150 साल में कैग द्वारा निभाई गई भूमिका के लिये उसकी सराहना करते हुये मनमोहन ने कहा ‘हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक प्रमुख निगरानी संस्था होने के नाते कैग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह दूध का दूध और पानी का पानी करे. भूल और जानबूझ कर की गयी गड़बड़ी में फर्क समझे तथा निर्णर्यों के पीछे के संदर्भ और परिस्थितियों को भी समुचित महत्व दे.’ {mospagebreak}
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कैग के कामकाज की सराहना करते हुये कहा कि यह संस्था सरकारी खर्चों के बारे में समय समय पर अपनी रिपोर्ट सरकार को देती है ताकि बीच में भी परिस्थितियों को सही ढर्रे पर लाया जा सके.
मुखर्जी ने कहा कि कैग को संसद द्वारा मंजूर खर्चों की निगरानी तो करनी ही होती है इसके साथ ही उसे सरकार द्वारा चलाई जा रही जलकल्याण की योजनाओं की सही तस्वीर सरकार के समक्ष पेश करनी चाहिये.
अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में शुरू होने वाली वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली का जिक्र करते हुये मुखर्जी ने कहा कि कैग को केवल कराधान मामले में ही नहीं बल्कि गैर कर क्षेत्रों पर भी गौर करना चाहिये और सुधारात्मक उपाय बताने चाहिये. {mospagebreak}
संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी भी समारोह में उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि कैग को वर्तमान में जो भी संवैधानिक अधिकार मिल हुये हैं वह अब पुराने पड़ चुके हैं. इस संस्थान की शक्तियों की नये सिरे से समीक्षा की जानी चाहिये. इसके लिये एक नया कानून लाये जाने की जरूरत है, समझा जाता है इसका प्रारूप तैयार हो चुका है इसलिये सरकार को इसे जल्द से जल्द संसद में पेश करना चाहिये. इसके पारित होने के बाद संसद द्वारा विभिन्न गतिविधियों के लिये मंजूरी राशि के खर्च की और बेहतर ढंग से निगरानी हो सकेगी.
कैग विनोद राय ने भी इस मुद्दे को उछालते हुये कहा कि आज सरकार का 50 प्रतिशत से अधिक धन ऐसे माध्यमों के जरिये खर्च हो रहा है जो कि कैग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं. सार्वजनिक धन के सही इस्तेमाल पर निगरानी रखने के लिये वर्ष 1971 के कैग कानून में संशोधन की आवश्यकता है.