भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज दावा किया कि संप्रग सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने उन्हें बताया था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले सहित भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों की जांच के लिये संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने पर राजी हो चुके थे.
आडवाणी ने कहा, ‘संसद के शीतकालीन सत्र के अंत में संप्रग सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री, जो कांग्रेस के नहीं थे, ने मुझे बताया कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने उनसे कहा था कि वे जेपीसी के लिये तैयार हैं. यह घोषणा करने के लिये एक मंत्रीस्तरीय बैठक भी बुलायी गयी लेकिन उसे ऐन वक्त पर निरस्त कर दिया गया.’ आडवाणी ने अपने ताजा ब्लॉग में यह दावा किया है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने ब्लॉग में आगे लिखा कि जेपीसी का गठन नहीं किया गया लेकिन ए. राजा को हटाया गया, महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बदला गया और सुरेश कलमाडी के परिसरों पर सीबीआई ने छापे मारे.
उन्होंने कहा कि 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला और राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के मामले में अगर कुछ कार्रवाई हुई है तो यह उच्चतम न्यायालय की सख्ती का नतीजा है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि भ्रष्टाचार की समस्या से जुड़े मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय एक बार फिर निर्णायक भूमिका निभाएगा.
आडवाणी ने कहा कि 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में उच्चतम न्यायालय ने गंभीर टिप्पणियां कीं. साथ ही, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कई विपक्षी दलों ने घोटालों के मुद्दे को उठाना चाहा. लेकिन विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को कांग्रेस ने अपनी बात नहीं रखने दी.