आखिरकार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रामलीला मैदान में हुए पुलिसिया दमन पर अपनी चुप्पी तोड़ ही दी. मनमोहन सिंह ने पुलिस कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.
हालांकि प्रधानमंत्री ने बचाव की मुद्रा अख्तियार करते हुए कहा कि तब के हालात में कार्रवाई के सिवा और कोई चारा नहीं बचा था. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गंभीर है.
रामदेव के साथ प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर पहली बार टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, वहीं इसे सही ठहराते हुए कहा कि उस समय कोई अन्य विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए चिंतित और गंभीर है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने के लिए कोई जादूई छड़ी नहीं है.
मनमोहन ने कहा, ‘इस अभियान को अंजाम देना दुर्भाग्यपूर्ण था लेकिन ईमानदारी की बात है कि कोई विकल्प नहीं था.’ उन्होंने रामलीला मैदान में रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शन के खिलाफ मध्यरात्रि के समय की गयी पुलिस कार्रवाई के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में यह बात कही.
सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न दलों द्वारा उठाये जा रहे भ्रष्टाचार मुद्दों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सरकार गंभीर है और भ्रष्टाचार एवं कालेधन को लेकर हम चिंतित हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन हमारे पास कोई जादूई छड़ी नहीं है.’
प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाये जाने की मांग पर मनमोहन ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह मुद्दा संयुक्त मसौदा समिति के समक्ष विचाराधीन है जिसमें मंत्री और समाज के सदस्य शामिल हैं. मनमोहन हिन्दी दैनिक राजस्थान पत्रिका द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. प्रधानमंत्री के पद पर उनके पिछले दो साल के बारे में उनका आकलन पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘यह निर्णय आप लोगों को करना है.’