प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टेलीफोन टैपिंग विवाद पर मौन तोड़ते हुए आज माना कि फोन वार्तालापों के सार्वजनिक होने से देश के कंपनी जगत में ‘घबराहट’ है और कहा कि सरकारी मशीनरी द्वारा टैप किए गए ऐसे वार्तालापों को लीक होने से रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम करने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर को टैपिंग-लीक प्रकरण से उठे मुद्दों पर गौर करके लीक रोकने के उपाय सुझाने को कहा है. कैबिनेट सचिव को इसके बारे में एक माह के अंदर रपट पेश करने को कहा गया है. प्रधानमंत्री आज यहां ‘भारतीय कंपनी सप्ताह- 2010’ का उद्घाटन कर रहे थे.
उन्होंेने कहा कि प्रौद्योगिकी के जरिये ऐसे उपाय किए जाने चाहिए ताकि सरकार के दायरे के बाहर की कोई प्रणाली फोन वार्तालापों तक न पहुंच सके.
प्रधानमंत्री ने फोन टैपिंग (दो व्यक्तियों की फोन पर बातचीत को विधिवत तरीके से खुफिया रिकाडिंग कराने) के सरकार के अधिकार को जरूरी बताया, पर कहा कि इसका प्रयोग बहुत सावधानी से करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘ऐसे अधिकारों की आवश्यकता तो है, पर इनका इस्तेमाल बड़ी सावधानी से और सुस्पष्ट नियमों, प्रकियाओं और व्यवस्था के तहत किया जाना चाहिए, ताकि इनका दुरुपयोग न किया जा सके.’{mospagebreak}
सिंह ने कहा, ‘इस बारे में मौजूदा कानूनी व्यवस्था को और मजबूत बनाया जाना चाहिए, ताकि इसे कारगर तरीके से लागू किया जा सके. मैं कैबिनेट सचिव से इन मुद्दों को देखने और एक माह के अंदर कैबिनेट को रपट देने के लिए कह रहा हूं. ’
प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि फोन वार्तालाप टैप करने के सरकारी अधिकारियों के अधिकार को लेकर कंपनी जगत में ‘घबराहट’ है. इसी संदर्भ में उन्होंने टैपिंग के अधिकार का दुरुपयोग रोकने के पुख्ता उपायों की बात की. उन्होंने कहा कि सरकार निजी क्षेत्र की कंपनियों को बराबरी का मौका देने का प्रयास कर रही है, ताकि वे बिना भय या पक्षपात के काम कर सकें.
सिंह ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जबकि देश के जाने माने उद्योगपति और टाटा उद्योग समूह के प्रमुख रतन टाटा ने जनसम्पर्क कंपनी चलाने वाली महिला नीरा राडिया के साथ फोन पर अपने वार्तालापों के सरकारी रिकार्ड लीक होने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में निजता के अधिकार के हनन का मामला दायर किया है.
एचडीएफसी के अध्यक्ष दीपक पारेख ने भी इससे पहले इसी सप्ताह ऐसी बातचीत के लीक होने की निंदा की थी. उन्होंने कहा कि इस प्रकरण से देश के उद्योग जगत का मनोबल गिरा है.{mospagebreak}
आयकर विभाग ने देश की कई बड़ी हस्तियांे के साथ राडिया के फोन पर वार्तालाप खुफिया तरीके से रिकार्ड कराए हैं. इनमें उद्योग, राजनीति और मीडिया जगत के लोग हैं. बताया जाता है कि अधिकारियों के पास ऐसे करीब 5,000 वार्तालापों के टेप है. इनमें से कुछ वार्तालाप लीक हो मीडिया में पहुंच चुके हैं.
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कंपनी क्षेत्र में ‘नैतिकता की की कमी’’ का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कंपनियां प्राकृतिक संसाधनों का किस तरह इस्तेमाल कर रही है और वह आम आदमी की जरूरतों को लेकर कितनी संवेदनशील हैं, उसी से उनका दीर्धकालिक भविष्य तय होगा.
सिंह ने कहा कि आम लोग की ताकत बढाए बिना धन संपदा का एकत्रीकरण अनैतिक है. उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि उद्योग-जगत की हस्तियों को यह बात पता है कि हाल में कुछ औद्योगिक घरानों की गतिविधियां में दिखी नैतिकता को जनता ने पैनी निगाह से देखा है.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कंपनियों का व्यवहार नैतिक और दायित्वपूर्ण होना चाहिए और निश्चित रूप से उनका नजरिया राष्ट्रीय होना चहिए.
सिंह ने भारतीय उद्योग जगत से कहा कि वे परियोजनाओं से प्रभावित और विस्थापित लोगों के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करें और साथ ही पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करें. उन्होंने कहा, ‘औद्योगिकीकरण और विकास में भरोसे की कमी से हमारी आर्थिक वृद्धि की रफ्तार प्रभावित नहीं होनी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि कंपनियों को पर्यावरण का पूरा ध्यान रखना चाहिए और ऐसी आड़ा तिरछा रास्ता नहीं अपनाना चाहिए जिससे स्थानीय लोगों की रोजीरोटी और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो.
उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि भारतीय कंपनी क्षेत्र देश के आम आदमी के सपनों को पूरा करने के प्रयास में सहायक बनेगा.{mospagebreak}
सिंह ने कहा कि कंपनी मामलों के मंत्रालय को ऐसे नियामक ढांचा उपलब्ध कराने को कहा गया है जिससे भारतीय कंपनियां उत्पादक और जिम्मेदार तरीके से राष्ट्रीय आकांक्षाओं के अनुरूप काम कर सकें. उन्होंने कंपनी कानून में सुधार के लिए मंत्रालय की सराहना की.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मंत्रालय द्वारा कारपोरेट प्रशासन और कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पर जो स्वैच्छिक दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनमें रुचि ली जा रही है.