गांधीवादी अन्ना हज़ारे पक्ष ने कहा है कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में उसी तरह से अपनी प्रतिबद्धता दर्शानी चाहिये, जैसी उन्होंने अमेरिका के साथ परमाणु करार करने के मुद्दे पर दिखायी थी.
हज़ारे पक्ष की यह प्रतिक्रिया मनमोहन सिंह के उस बयान पर आई है, जिसमें उन्होंने पांच वरिष्ठ संपादकों के साथ बातचीत के दौरान कहा है कि प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में उन्हें स्वयं कोई झिझक नहीं है, लेकिन उनके मंत्रिमंडल के कई सहयोगियों का मानना है कि ऐसा करने से हालात बेकाबू होने जैसी अस्थिरता पैदा हो सकती है.
हज़ारे की साथी कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने मनमोहन सिंह के वक्तव्य पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनते हुए निजी तौर पर फैसला करना चाहिये और वैसा ही रुख अपनाना चाहिये, जैसा उन्होंने परमाणु करार के मुद्दे पर अपनाया था.
प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह लोकपाल के मुद्दे पर रास्ता निकालने और उस पर राष्ट्रीय आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार इस संदर्भ में समाज (हजारे पक्ष) के सदस्यों से संपर्क करेगी लेकिन कोई भी समूह अपनी हर बात को अंतिम बताकर थोप नहीं सकता.
इस पर किरण बेदी ने कहा कि हज़ारे पक्ष सार्वजनिक चर्चा के पक्ष में है और इस संबंध में केंद्र के मंत्रियों से अनुरोध भी किया गया था.
उन्होंने कहा कि लोकपाल के मुद्दे पर जनता का नजरिया खबरों, सर्वेक्षणों और अध्ययनों के जरिये खुलकर सामने आ रहा है. इसे आप नजरअंदाज नहीं कर सकते.