बिहार विधानसभा चुनावों के बहिष्कार का आह्वान करने के बाद अब नक्सलियों ने अगले महीने से शुरू होने जा रहे झारखंड पंचायत चुनावों के बहिष्कार का आह्वान किया है.
सोमवार को मीडिया को जारी बयान में भाकपा (माओवादी) नक्सली संगठन ने आरोप लगाया कि पूरे झारखंड में सूखा और अकाल की स्थिति है लेकिन सरकार सूखे से निपटने के लिए कदम उठाने की बजाय पंचायत चुनाव कराने के नाम पर पैसा और समय बर्बाद करने में जुटी हुई है. संगठन ने आम लोगों से इन पंचायत चुनावों का बहिष्कार करने की अपील की और कहा कि वह इससे दूर रहें.
संगठन ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनावों के नाम पर ग्रामीण और सुदूरवर्ती इलाकों में करोड़ों रुपए खर्च कर सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है. वहीं गरीबों और भूख से मर रहे लोगों को बचाने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है. बयान में कहा गया है कि पंचायत चुनाव सत्ताधारी लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित किये जा रहे हैं और इससे आम लोगों का कोई लेना देना नहीं है. लिहाजा आम लोगों को अपने हितों की रक्षा के लिए इसका पूरी तरह बहिष्कार कर देना चाहिए. {mospagebreak}
झारखंड में 27 नवंबर से 24 दिसंबर तक पांच चरणों में पंचायत चुनाव कराये जा रहे हैं. यहां 33 वर्षों बाद पंचायत चुनाव कराये जा रहे हैं. इससे पूर्व बिहार के हिस्से के रूप में इन इलाकों में 1977 में पंचायत चुनाव कराये गये थे. अनेक कानूनी अड़चनों के चलते राज्य में पंचायत चुनाव नहीं कराये जा सके थे. अंतत: उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यहां राज्य और केन्द्र सरकार ने पंचायत चुनावों का फैसला किया.
इन चुनावों के लिए केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की सौ कंपनियां मुहैया करायी है जबकि राज्य सरकार ने केन्द्र से इस कार्य के लिए 257 कंपनी अर्धसैनिक बलों की मांग की हैं पंचायती राज व्यवस्था में राज्य की पंचायतों को विकास के लिए केन्द्र सरकार से मिलने वाली हजारों करोड़ रुपए की राशि का झारखंड को अब तक नुकसान हो चुका है.
इस बीच राज्य सरकार ने नक्सलियों के इस आह्वान को बेतुका बताया है. राज्य सरकार ने एक बयान में नक्सलियों के इस बयान की आलोचना करते हुए कहा है कि वास्तव में नक्सली जिस तरह की विकेन्द्रित राज्य व्यवस्था की बात करते हैं वैसी ही व्यवस्था पंचायत राज में निहित है. ऐसे में इन चुनावों के बहिष्कार की बात का औचित्य नहीं है.