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उड़ीसा में माओवादियों द्वारा अगवा किए गए कनिष्ठ अभियंता पवित्र मांझी को बुधवार को सात दिनों तक बंधक बनाए जाने के बाद रिहा कर दिया गया जबकि मलकानगिरी के अपहृत जिलाधिकारी आर विनील कृष्णा की रिहाई के लिए प्रक्रिया जारी है.
माओवादियों की ओर से चुने गए मध्यस्थों और उड़ीसा सरकार के बीच अब इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है कि माओवादियों की मानी जा चुकी सभी मांगों को लागू किस तरह कराया जाए. चित्रकोंडा के तहसीलदार डी गोपालकृष्ण ने फोन पर बताया, ‘सुदूर जंगली इलाके में माओवादियों द्वारा रिहा किए जाने के बाद मांझी को स्थानीय ग्रामीण मोटरसाइकिल से चित्रकोंडा ले गए. वह ठीक हैं लेकिन थके-थके से नजर आ रहे हैं.
डॉक्टर उनकी सेहत की जांच कर रहे हैं.’ सरकारी सूत्रों ने बताया कि चित्रकोंडा पहुंचने के तुरंत बाद कनिष्ठ अभियंता को तहसील कार्यालय ले जाया गया जहां सरकारी अधिकारियों ने उनसे मुलाकात की. माओवादियों के चंगुल से आजाद हुए मांझी को देखने के लिए बड़ी तादाद में लोग तहसील कार्यालय पर इकट्ठा हो गए. बाद में उन्हें बालीमेला बांध परियोजना के एक गेस्ट हाउस ले जाया गया. mospagebreak}अधिकारियों ने विस्तार से बताने की बजाय सिर्फ इतना कहा कि कृष्णा भी जल्द आएंगे. मांझी की रिहाई से साफ है कि कृष्णा को उनसे अलग रखा गया था. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विधानसभा में कहा कि वार्ताकारों की ओर से किए गए वादे के मुताबिक 30 वर्षीय कृष्णा गुरुवार तक सुरक्षित लौट आएंगे.
उड़ीसा सरकार द्वारा माओवादियों की सभी 14 मांगें मान लिए जाने के बाद मध्यस्थों ने राज्य सरकार के अधिकारियों से फिर बातचीत की है ताकि मांगों को लागू कराए जाने के तरीकों पर विचार किया जाए.
राज्य सरकार के गृह सचिव यू एन बेहरा ने कहा कि मध्यस्थ भी दोनों बंधकों की रिहाई के इंतजार में हैं और ‘हमारी बैठक तब तक जारी रहेगी जब तक दोनों वापस न आ जाएं.’ बेहरा ने मंगलवार को कहा था कि हफ्ते भर से जारी बंधक संकट का समाधान हो गया था.