सुप्रीम कोर्ट ने प्रियदर्शिनी मट्टू केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फ़ैसले को बदल दिया है.
बलात्कार और हत्या के दोषी संतोष सिंह को दिल्ली हाईकोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी. जिसके ख़िलाफ़ संतोष ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सज़ा को उम्रक़ैद में बदल दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 29 जुलाई को अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
14 साल पुराने इस मामले में संतोष सिंह निचली अदालत से बरी हो गया था. बाद में केस सीबीआई के पास गया और हाईकोर्ट ने संतोष को प्रियदर्शिनी के बलात्कार और हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सज़ा सुना दी. संतोष ने फांसी की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
यह मामला 1995 में सामने आया था. प्रियदर्शिनी मट्टू दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई कर रही थी. उसने अपने ही एक सीनियर पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था.
आरोप के मुताबिक संतोष सिंह नाम का युवक प्रियदर्शिनी को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था. वह प्रियदर्शिनी का पीछा करता था. यहां तक कि उसके घर तक चला जाता था.
पुलिस से बार-बार गुहार लगाने पर भी प्रियदर्शिनी को कोई ख़ास राहत नहीं मिली. क्योंकि संतोष सिंह का पिता पुलिस महकमे में आला अधिकारी था. इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब 23 जनवरी को प्रियदर्शिनी की हत्या हो गई.