इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ताज कॉरिडोर मामले में सोमवार को उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दायर सभी जनहित याचिकाएं खारिज कर दीं.मायावती पर इस मामले में अब कोई मुकदमा नहीं चलेगा.
मायावती के वकील एवं बसपा महासिचव सतीश चंद्र मिश्र ने संबताया कि हाईकोर्ट ने ताज कॉरिडोर मामले में दायर उन सभी सात जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें मायावती और बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की गई थी.
मिश्र ने कहा कि हमने अदालत को बताया कि ये याचिकाएं राजनीतिक कारण से मायावती की छवि खराब करने के लिए दायर की गई थीं. न्यायालय ने पाया कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और इस आधार पर सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं.
क्या है ताज कॉरिडोर मामला
मिश्र के अनुसार, हाईकोर्ट को बताया गया कि मायावती के सामने ताज कॉरिडोर की फाइल कभी नहीं रखी गई. ताज कॉरिडोर में सिर्फ सड़क बनाने की योजना थी, इमारत बनाने की नहीं.
उन्होंने कहा कि ताज कॉरिडोर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भी मायावती के खिलाफ कोई गलती नहीं निकाल पाई थी. सीबीआई ने भी रिपोर्ट में कहा था कि अधिकारियों ने गलितयां की थीं.
मालूम हो कि वर्ष 2002 में पर्यावरण विभाग की मंजूरी के बगैर आगरा में ताजमहल के आसपास व्यावसायिक परिसर बनाने और पर्यटकों के लिए अन्य सुविधाओं के निर्माण की ताज कॉरिडोर योजना चालू की गई थी, जिसमें करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोप लगे थे. उधर, याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वह लखनऊ खंडपीठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.