उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल गांव में पिछले दिनों हुए किसान-पुलिस संघर्ष को विपक्षी पार्टियों की घिनौनी राजनीति का हिस्सा करार देते हुए कहा कि विरोधी दल इस मामले को जमीन के मुआवजे से जोड़कर दुष्प्रचार कर रहे हैं.
मायावती ने यहां अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा कि जब विपक्षी पार्टियों के पास कोई मुददा नहीं बचा तो वे सभी झूठ और अफवाहों का सहारा लेकर प्रदेश की जनता को गुमराह कर यहां की कानून व्यवस्था बिगाड़ने में जुट गए. इसका जीता जागता उदाहरण ग्रेटर नोएडा के भट्टा परसौल गांव में गत शनिवार को हुआ मामला है.
भट्टा पारसौल में बुधवार रात राहुल गांधी के धरने पर बैठने को महज ‘ड्रामेबाजी’ करार देते हुए मुख्यमंत्री ने उनकी गिरफ्तारी को उचित ठहराया और कहा कि कोई नेता कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, अगर वह कानून व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ता है तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा. इसकी मिसाल आपने देखी है.
उन्होंने कहा कि यह घटना विरोधी पार्टियों की घिनौनी साजिश के तहत अंजाम दी गई है. कुछ पार्टियों ने राजनीतिक साजिश के तहत अराजक तत्वों को हथियार देकर भट्टा पारसौल में कानून व्यवस्था की स्थित खराब कराई.
मायावती ने कहा कि इन अराजक तत्वों ने भट्टा पारसौल गांव में काम के सिलसिले में गए परिवहन कर्मियों को बंधक बनाया था. यह जानकारी मिलने के बाद जब पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी उन्हें छुड़ाने गए तो अराजक तत्वों ने उन पर भी हमला किया. ऐसी स्थिति में हमारी सरकार ने उन तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की. इसमें हमें कुछ विरोधी पार्टियों का हाथ काफी हद तक नजर आता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा कई बार स्पष्टीकरण देने के बावजूद इस मामले को वहां के किसानों की जमीन के मुआवजे के विवाद से जोड़कर उत्तर प्रदेश और देश की जनता को गुमराह किया जा रहा है. चूंकि अब इस राजनीतिक साजिश का पर्दाफाश हो गया है इसलिये विरोधी पार्टियां इसे मुआवजे से जोड़कर झूठा प्रचार कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों का यह आरोप बिल्कुल गलत है कि भट्टा पारसौल गांव की जमीन को यमुना एक्सप्रेस.वे के लिये निजी कम्पनियों को दे दिया गया है. वह जमीन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी प्लान के लिये दी गई है. इसे गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है और सरकार इसकी निंदा करती है. भट्टा और पारसौल गांवों में किसान अपनी अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा पहले ही ले चुके हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने देश में समान भूमि अधिग्रहण कानून बनाने के लिये केन्द्र सरकार को कई बार चिट्ठी लिखी लेकिन केन्द्र ने ध्यान नहीं दिया. बाद में राज्य सरकार ने खुद ही एक नीति तैयार की जिसके तहत जमीन अधिग्रहण का कार्य हो रहा है.
उन्होंने कहा कि राहुल को जो भी लड़ाई लड़नी है उसे उन्हें खुद अपने घर में ही लड़ना चाहिये. मुझे लगता है कि उनकी अपने घर में नहीं चलती इसीलिये वह बाहर अपनी खीझ निकाल रहे हैं.