बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस नीत यूपीए और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग पर आरोप लगाया कि इनके राजनीतिक स्वार्थों के चलते अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण संबंधी विधेयक संसद में लाने में देरी हुई और वह पारित नहीं हो सका.
मायावती ने राज्यसभा में धक्का-मुक्की के बीच विधेयक पेश होने के बाद संसद परिसर में में आरोप लगाया, ‘संप्रग राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवारों को जिताने की रणनीति के तहत सभी दलों को खुश रखने के चलते इस विधेयक को संसद में नहीं लाई. दूसरी ओर 2014 में सत्ता में आने के सपने देख रही भाजपा ने पिछले दस दिन से कोयला ब्लॉक आवंटन पर संसद की कार्यवाही ठप कर रखी है और इस विधेयक को पारित होने के लिए घंटे भर के लिए भी संसद को नहीं चलने देना चाहते.’
उन्होंने कहा कि बसपा की ओर से लगातार मांग के बाद पिछले दिनों सर्वदलीय बैठक बुलाई गयी और अंतत: मंत्रिमंडल ने कल विधेयक को मंजूरी दी.
बसपा अध्यक्ष ने कहा, ‘हमने भाजपा से अनुरोध किया था कि कुछ देर संसद चलने दें जिससे विधेयक पारित हो जाए. आज विधेयक को पेश किया गया लेकिन पारित नहीं होने दिया गया. इस सत्र में तीन दिन शेष रह गये हैं. अगर संप्रग और राजग अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थों को दरकिनार कर लें तो विधेयक पारित हो जाता.’
उन्होंने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी दल नहीं चाहता कि देश में अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग अपने पैरों पर खड़े हों.
सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति-जनजाति के कर्मचारियों को प्रोन्नति के प्रावधान वाले संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा में पेश किए जाने से पहले ही गहमागहमी थी.
विधेयक पेश करने से पूर्व ही सपा के नरेश अग्रवाल और बसपा के अवतार सिंह करीमपुरी आपस में उलझ गए. करीमपुरी ने अग्रवाल समेत सपा के अन्य सदस्यों को आसन के समक्ष जाने से रोका. बाद में बसपा के सदस्यों ने करीमपुरी को शांत कराया.