राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि मध्यस्थता को विवादों के हल के लिए एक वैकल्पिक तरीके के रूप में अपनाने के बारे में जागरुकता पैदा की जानी चाहिए. उन्होंने चेताया कि लोग कानून की जटिलता और मामलों के सुलझने में हो रही देरी से निराश हो रहे हैं.
प्रणब ने कहा, 'ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो कानून की जटिलता, काफी देरी और मुकदमेबाजी में अपने संसाधनों के अनुत्पादक उपयोग से निराश हैं. कई सामाजिक संघर्ष कानूनी विवाद में बदल जाते हैं. ये स्थितियां हल करने के बजाय समस्या को और बढ़ा देती हैं.'
राष्ट्रपति ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमारे देश में सुदृढ़, स्वतंत्र और पारदर्शी न्याय प्रणाली है, इसके बावजूद दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई यह है कि कानूनी विवाद सुलझने में काफी समय और खर्च दोनों लगते हैं.
सर्वोच्च न्यायालय की मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति द्वारा मध्यस्थता पर आयोजित एक दिन के राष्ट्रीय सेमिनार में उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए कि विवाद हल करने का वैकल्पिक तरीका वैधानिक प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बन जाए.
उन्होंने कहा कि विवाद को सुलझाने में कारगर वैकल्पिक तरीके को प्रोत्साहित करना और लोकप्रिय बनाना वक्त की जरूरत है. विवाद हल करने का वैकल्पिक तंत्र न केवल जल्द न्याय दिलाता है, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया भी है जिसमें अंतिम परिणाम वादी और परिवादी के नियंत्रण में रहता है.