तृणमूल कांग्रेस ममता बनर्जी ने यूपीए सरकार से समर्धन क्या वापस लिया ऐसा माना जाने लगा है कि कांग्रेस देश को मध्यावधि चुनाव की ओर ढकेल रहा है और 'राजनीतिक संकट' पैदा कर रहा है. चौतरफा केंद्र सरकार की निंदा हो रही है.
भाजपा ने बुधवार को कहा कि एफडीआई, डीजल के दाम में बढ़ोतरी, रसोई गैस सिलिंडरों की राशनिंग और कोयला ब्लॉक आवंटन जैसे देश के चार ज्वलंत मुद्दों पर यूपीए सरकार संसद के दोनों सदनों में बहुमत खो चुकी है और इसे देखते हुए उसे इन चारों फैसलों को बिना देरी किए तुरंत रद्द करना चाहिए.
पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘इन मुद्दों पर तृणमूल कांग्रेस सरकार से हटने की घोषणा कर चुकी है और अन्य घटक दल द्रमुक तथा सहयोगी दल सपा सरकार के उक्त फैसलों के खिलाफ 20 तारीख को देशव्यापी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं. इनके अलावा राजग, वाम मोर्चा तथा बीजद और तेलगुदेशम ने भी हड़ताल का ऐलान किया है. इससे साफ है कि संसद के दोनों सदनों में सरकार बहुमत खो चुकी है.’
उन्होंने हालांकि, सरकार को घेरने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने या उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जैसे सवालों को टालते हुए कहा कि इन सब बातों पर 20 सितंबर के बाद गौर किया जाएगा.
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने हालांकि इससे पहले कहा था कि मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी देने के सरकार के फैसले के आलोक में संसद का विशेष सत्र बुलाने की मुख्य विपक्षी दल मांग करेगा.
कांग्रेस द्वारा अपने शासन वाले राज्यों को साल में छह की बजाय रियायती दर वाले नौ रसोई गैस सिलिंडर देने के निर्देश की कड़ी आलोचना करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘यह तो हद हो गई. केंद्र रसोई गैस सिलिंडरों की राशनिंग करें और राज्यों से कहे कि वह अपनी ओर से रियायती दरों पर तीन अतिरिक्त सिलिंडर मुहैया कराए. जबकि रसोई गैस सिलिंडर वितरण का राज्यों से कोई वास्ता ही नहीं है. यह केंद्र के अधिकार क्षेत्र में है.’
वहीं जदयू सांसद शिवानंद तिवारी ने कांग्रेस पर देश को मध्यावधि चुनाव की ओर धकेलने और एक ‘राजनीतिक संकट’ पैदा करने का आरोप लगाया. तिवारी ने कांग्रेस पर मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की इजाजत, डीजल की कीमत में वृद्धि तथा सब्सिडी प्राप्त रसोई गैस सिलिन्डर की संख्या सीमित करने का फैसला कर देश में ‘राजनीतिक संकट’ पैदा करने का आरोप लगाया.
उन्होंने इस बात की मांग की कि सरकार को अपने फैसलों के लिए संसद की मंजूरी लेनी चाहिए क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है. उन्होंने कहा, ‘यह यूपीए के नहीं केवल कांग्रेस के फैसले हैं. उन्हें सरकार के अंदर भी बहुमत नहीं है. यह अल्पमत के फैसले हैं. यदि आप इस विषय पर अपने सहयोगी दलों को भी साथ नहीं ले पाते हैं, तो अब देश को इसके लिए कैसे राजी करेंगे? कांग्रेस अपने फैसले थोप रही है और इस मुद्दे पर अड़ियल रवैया अपना कर देश में राजनीतिक संकट पैदा कर रही है.’