शहरी विकास मंत्रालय के परिसंपत्ति विभाग ने कृष्णा मेनन मार्ग पर छह नंबर के बंगले को 1986 से कब्जाए रखने के मामले में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को 1.98 करोड़ रुपये का बकाया किराये का बिल भेजा है. उन्होंने 1986 में अपने पिता जगजीवन राम के निधन के बाद भी इस बंगले को खाली नहीं किया है.
एक आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि परिसंपत्ति विभाग को दस लोगों की एक सूची सौंपी गयी है जिनमें भूतपूर्व इंद्राणी देवी के पारिवारिक सदस्य और मीरा कुमार शामिल हैं. इस सूची में उन बंगलों की बकाया किराया राशि भी शामिल है जिन्हें इन लोगों ने खाली नहीं किया है.
सूची से पता चलता है कि मीरा कुमार पर 1, 98, 22,723 करोड़ रुपये किराया राशि बकाया है और इसके लिए एक बिल भी भेजा गया है.
विभाग ने आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल द्वारा मांगी गयी जानकारी के जवाब में इसका खुलासा किया है. आरटीआई में पूछा गया था कि पद छोड़ने के बाद भी सरकारी परिसरों पर कब्जा जमाए रखने वले लोगों के खिलाफ कितनी किराया राशि लंबित है.
संपर्क करने पर लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय ने कहा, ‘भूतपूर्व इंद्राणी देवी के परिवार के सदस्यों ने 30 नवंबर 2002 को नयी दिल्ली के छह कृष्णा मेनन मार्ग बंगले को खाली कर दिया था और इसकी सूचना केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद, परिसंपत्ति निदेशक तथा अन्य संबंधित प्रशासन को दे दी गयी थी.
लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय ने बताया, ‘एनडीएमसी ने तत्काल बिजली और पानी की आपूर्ति बंद कर दी थी तथा उसके बाद से भूतपूर्व इंद्राणी देवी के परिवार का कोई भी सदस्य उस परिसर में नहीं रहता है.’ सूची में जिन दो अन्य लोगों का उल्लेख किया गया है उनमें वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बूटा सिंह तथा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष जे एस शर्मा का नाम है और उनके खिलाफ शून्य राशि बकाया है.
16 सितंबर 2011 के रिकार्ड पर आधारित जवाब कहता है कि अन्य लोग, जिन पर किराया बकाया है उनमें प्रतिभा पांडे (43.63 लाख रु) , मूल्य स्थिरीकरण कोष न्यास के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रवीर कुमार (2.61 लाख रू) , पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ए एन तिवारी (4.71 लाख रु) , पूर्व लोकसभा सांसद मृत्युंजय नायक (3.21 लाख रु) , राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य अब्दुल अली अजीजी (1.97 लाख रु) तथा अमिताभ भट्टाचार्य (2.04 लाख रु) शामिल हैं.
संपर्क करने पर प्रवीर कुमार ने बताया कि वह अगस्त 2010 से 2011 के बीच गुजरात में नियुक्त थे और अपने नाम बकाया 1.48 लाख रुपये की राशि का वह भुगतान कर चुके हैं.